हिन्दू धर्म में त्योहारों का अपना अलग महत्व होता है | सभी त्यौहार किसी न किसी कारण से मनाये जाते हैं | जैसा कि अभी होली का त्यौहार है अभी हम शुरआत करते है होली के त्यौहार से , इस बात को जानते हैं कि होली क्यों मनाई जाती है |
होली :-
वैसे होली का त्यौहार मानाने के कई सारे कारण माने जाते हैं, होली मुख्यतः रंगों का त्यौहार होता है परन्तु होली के एक दिन पहले होलिका दहन भी किया जाता है | होलिका रक्षकों के राजा हिरणकश्यप की बहन का नाम है, जिसने विष्णु भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए उसको लेकर खुद अग्नि में प्रवेश किया और खुद जल कर मर गई उस दिन से होलिका दहन का त्यौहार मनाया जाता है |
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उसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है, जिसमें लट्ठमार होली और फूलों की होली काफी प्रसिद्द है | रंगों की होली खेले की एक कथा है, एक बार भगवान कृष्णा बचपन में अपनी माँ से पूछ बैठे कि माँ राधा इतनी गोरी है पर मेरा रंग उसकी तरह क्यों नहीं है, तो इस बात पर माँ ने कई बहाने बनाए पर माँ के कोई बहाने काम न आये | उसके बाद माँ ने राधा के गांव जाकर उसको ही रंग में रंग दिया और कहा देख कान्हा अब इसका रंग भी तुझ जैसा हो गया | उस दिन के बाद से यह प्रथा ही बन गई , आज होली के दिन पुरष राधारानी के गांव जाकर होली खेलते हैं, और वहीँ पर लट्ठमार होली होती है क्योकि महिलाएं उनका स्वागत डंडों से करती हैं |
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दिवाली :-
दिवाली का त्यौहार होली से बिलकुल अलग है, कहा जाए तो विपरीत | इस त्यौहार के लिए घरों में सफाई की जाती है, घर को सजाया जाता है और दिवाली के पहले छोटी दिवाली जिसको धन तेरस कहा जाता है उस दिन हर व्यक्ति अपने घर सोने या चांदी की कोई वस्तु लाकर उसकी पूजा करते हैं | दिवाली मानाने का महत्व इसलिए माना जाता है क्योकिं इस दिन भगवान राम 14 साल का वनवास पूरा कर के अपने घर वापस आए थे | इसलिए उनके स्वागत के लिए सभी ने घरों की सफाई की और घर के बाहर घी के दीपक जलाए | जो प्रथा आज दिवाली के रूप में मानते हैं |
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