इस्लाम में इल्म की अहमियत क्या है? - letsdiskuss
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इस्लाम में इल्म की अहमियत क्या है?


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पैगंबर मोहम्मद ने कहाः

इल्म तलाशने के लिए एक मार्ग का अनुसरण करता है, तो ईश्वर उसके लिए स्वर्ग का रास्ता आसान कर देता है। मां की गोद से लेकर कब्र में जाने तक इल्म हासिल करते रहना चाहिए। इल्म हासिल करना हर मुसलमान का फर्ज है।

कुरआन कहता हैः

‘और कहो, ‘मेरे रब, मुझे ज्ञान में अभिवृत्ति प्रदान कर’| कुरान के जन्म की शुरुआत ही पढ़ने के आह्वान के साथ हुई। ज्ञान की अहमियत को बताते हुए कुरआन कहता है – ‘सभी लोग जानते हैं, या क्या वे लोग जो नहीं जानते’, बराबर हो सकते हैं? लगभग चौदह सौ वर्ष पहले कुरआन का जब जन्म हुआ तो उसमें पहली बार जो अध्याय का निर्माण हुआ। उसमें पहला शब्द ‘इकरा’ था।

इकरा का अर्थः

इकरा का मतलब पड़ने से है। कुरान की शुरुआत ही पढ़ने, ज्ञान के अहमियत को दर्शाने से हुआ है।

इस्लाम में इल्म यानी ज्ञान हासिल करने को बहुत अधिक अहमियत दी है। एवं अधिक से अधिक लोगों को इल्म ज्ञात करने के लिए प्रेरित भी किया है।

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