अगर मंत्रो की बात करें तो इसमें सबसे महत्वपूर्ण उसमें गूंजने वाली ध्वनि होती है । क्योंकि मन्त्रों का अर्थ सभी नहीं जानते मगर उसकी ध्वनि सुनकर ही मन में एक भक्ति की जाग्रति हो जाती है । मन्त्रों की उत्पत्ति के बारें में बात की जाए तो यह मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा नहीं की गई बल्कि इसकी उत्पत्ति ऋषि मुनियों कि साधना की ध्वनि से मानी गई है । अगर मंत्र का अर्थ देखा जाए तो इसका अर्थ होता है ऐसे शब्द का उच्चारण जिससे मन में शांति का वास हो और साथ ही आपका मानसिक कल्याण हो ।
(इमेज - गूगल)
हिन्दू धर्म में पूजा के समय कई सारे मन्त्रों का उच्चारण करना होता है, जिसके बाद ही पूजन की शुरुआत मानी जाती है । किसी भी पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है उसके बाद जिस भगवान का पूजन करना होता है उनकी पूजा होती है । हिन्दू धर्म के अनुसार सभी भगवान के लिए अलग अलग दिन निर्धारित किये गए हैं । जैसे सोमवार का दिन भगवान शिव, मंगलवार को हनुमान जी , बुधवार को माता स्वरस्वस्ती , गुरुवार को भगवान विष्णु , शुक्रवार को संतोषी माता , शनिवार को शनि देव और रविवार को भगवान सूर्य देव|
ऐसे ही मंत्रो के उच्चारण से पूजन किया जाता है । घर में जब भी पूजन या कोई भी शुभ काम की शुरुआत होती है तो सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है । उसके बाद सभी देवी देवताओं को पूजा में आमंत्रित किया जाता है । हिन्दू धर्म में बिना मंत्रो के पूजा अधूरी मानी जाती है । मन्त्रों में भगवान का आवाहन किया जाता है और उनके आने के लिए उन्हें ध्यानवाद दिया जाता है ।
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