हिंदी कहावत -अंधेर नगरी चौपट राजा- का अर...

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| Updated on January 24, 2022 | Education

हिंदी कहावत -अंधेर नगरी चौपट राजा- का अर्थ क्या है?

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@amitsingh4658 | Posted on April 17, 2020

एक राज्य (स्थान) जहां कानून और व्यवस्था न के बराबर है, वह क्षेत्र कभी भी सुरक्षित नहीं रहेगा (हमेशा के लिए अंधेरे में) और उस साम्राज्य का राजा हमेशा कानून के शासन को लागू करने में विफल रहेगा।
चौपट राजा = असफल राजा
अंधेर नगरी = काले कानून और व्यवस्था के तहत शहर मूर्ख राजा की वजह से वहाँ एक विफलता है

राजा प्रजा का मुखिया होता है. अगर राजा ही चौपट है, तो प्रजा उसीके हाँ में हाँ मिलाएगी और विचार हीन, न्याय हीन रहेगी. सबकुछ गड़बड़.
इसकी दूसरी पंक्ति है” टके सेर भाजी, टके सेर खाजा “ यानि सारी चीज़ों का एक ही दाम है, मूल्य की कोई पहचान नहीं. मूर्ख और विद्वान् बराबर हैं. - क्योंकि पहचान ही नहीं है.
जहां का मुखिया और उसके फालोअर्स तर्क संगत बातें न करें, विचार को तिलांजलि दे दें, उनके सन्दर्भ में उपरोक्त कहावत कही जाती है.
“भारतेंदु हरिश्चन्द्र” के एक प्रमुख हास्य नाटक का नाम “अंधेर नगरी चौपट राजा” है.

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@krishnapatel8792 | Posted on January 23, 2022

हिंदी कहावत अंधेर नगरी चौपट राजा का मुहावरे का अर्थ होता है जिस राज्य का राजा बिना विवेक के बिना बुद्धि के बिना उचित न्याय के, और बिना हित के देश का न्याय करता है राज्य के राजा को चौपट राजा कहा जाता है इस प्रकार के राजा का कब मूड बन जाए और कब मूड बिगड़ जाए कुछ नहीं कहा जा सकता इस प्रकार का राजा कब किसी सजा दे दे और कब किस दोषी को सम्मान दे दे कुछ नहीं कहा जा सकता है। और अंधेर नगरी भी एक ऐसी ही काल्पनिक जगह है जहां पर सब कुछ विचारहीन होता है और सब कुछ गड़बड़ ही होता है। इस प्रकार इस मुहावरे का अर्थ यह होता है कि जहां का मालिक मूर्ख हो वहां सद्गुणों का कोई सम्मान नहीं होता।Article image

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