भारत में जन्माष्टमी के दिन दहीहांडी का क्या महत्व है और इस पर्व को क्या मनाया जाता है ? - letsdiskuss
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Sameer Kumar

Software engineer at HCL technologies | Posted on | News-Current-Topics


भारत में जन्माष्टमी के दिन दहीहांडी का क्या महत्व है और इस पर्व को क्या मनाया जाता है ?


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हमारे भारत देश में जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का अपना अलग महत्व है आज हम आपको बताएंगे कि इस पर्व को क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे का कारण यह था कि भगवान श्री कृष्ण को दूध दही खाना अत्यधिक पसंद था जब भगवान श्री कृष्ण नन्हे बालक थे तब वे अपने मित्रों के साथ पूरे गांव का भ्रमण करते थे और लोगों के घर से दही मक्खन को चुरा कर खा लेते थे और लोगों के घरों को अस्त-व्यस्त कर देते थे इतना ही नहीं वे कई बार माखन से भरी मटकीयों को भी फोड़ देते थे। और नुकसान होने के बाद ग्वाल वाली माता यशोदा से शिकायत लेकर उनके पास आते थे। लेकिन भगवान श्री कृष्ण किसी की भी बात नहीं मानती थी तभी से सभी गोकुल वासी अपने मक्खन को नुकसान होने से बचाने के लिए ऊंचे स्थान पर रख देते थे लेकिन जब कृष्ण भगवान मक्खन को अपने हाथ से नहीं पाते थे तो वे अपने मित्रों के साथ झुंड बनाकर दही से भरी मटकी को निकाल लेते थे तभी से श्री कृष्ण के इस रूप को याद करने के लिए उनके भक्त लोग दही हांडी का उत्सव मनाने लगे। तब से लेकर अब तक इस उत्सव को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।Letsdiskuss


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Marketing Manager (Nestle) | Posted on


भारत में वैसे तो हर वर्ष सबसे ज्यादा त्यौहार मनाये जाते है मगर भारत में सभी त्योहारों का अपना ही महत्व है तथा भारत में हर त्यौहार अपने साथ बहुत सी खुशिया लेकर आते है| आज हम बात कर रहे है जन्माष्टमी को भारत में क्यों मनाया जाता है तो में आप को यह बता दू की भारत में जन्माष्टमी भी एक ऐसा ही त्योहार है जिसे लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते है तथा भारत में हिंदू धर्म के लोगो में इस पर्व का काफी महत्व है तथा इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था| इस लिए भी यह पर्व काफी महत्वपूर्ण है क्योकि भगवान श्री विष्णु जी ने श्री कृष्ण के अवतार में जन्म लिया था| इस पर्व को गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दहीहांडी जैसी प्रथा के साथ मनाया जाता है| हिन्दू धर्म में इसलिए भी महत्वपूर्ण क्योकि श्रीकृष्ण ने देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान पुत्र के रूप में जन्म लिया था लेकिन उनका पालन और पोषण वृन्दावन के यशोदा और नंद ने किया था| इस तरह की भविष्यवाणी की गई थी कि कंस की बहन देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगी तथा कंस ने इस भविष्यवाणी को सच होने से रोकने के लिए अपनी बहन देवकी और वासुदेव को अपने महल में बंदी बना लिया था इतना ही नही इस बीच कंस ने देवकी की 6 संतानों को मार भी कर दिया था. तथा जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ उस समय वासुदेव ने भविष्यवाणी के निर्देशानुसार उन्हें वृन्दावन यशोदा और नंद के पास छोड़ आये थे| और श्रीकृष्ण ने अपना बचपन वृंदावन में ही बिताया और कुछ सालों बाद वे मथुरा वापस लौटे तब उन्होंने कंस का वध करके भविष्यवाणी को सच किया |


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