जलाभिषेक का क्या महत्व है ? - letsdiskuss
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Sumil Yadav

| Posted on | Astrology


जलाभिषेक का क्या महत्व है ?


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दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे कि जल अभिषेक का क्या महत्व है भगवान शिव करने के लिए जल अभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। जल पवित्र होता है जल कोई अर्पित करके श्रद्धालु भगवान से अपने मन में पवित्रता, स्वच्छता और सद्भावना की कामना करते हैं। शिव एक संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ कल्याण होता है। भगवान शिव की आराधना आदि काल से चली आ रही है। भगवान शिव का अभिषेक कई चीजों से किया जाता है जैसे दुग्ध अभिषेक, दही अभिषेक, घी अभिषेक। इन सब से अभिषेक करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।

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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | Posted on


हमारे जीवन में जलाभिषेक का बहुत ही अधिक महत्व होता है। क्योंकि,हिंदू धर्म में सभी व्यक्ति रोजाना अपने ईस्ट भगवान को जल अभिषेक करते हैं। अगर हम बात करें भोलेनाथ की तो इनको सभी व्यक्ति श्रावण मास मैं जल और दूध से अभिषेक करते हैं क्योंकि, सावन मास में भगवान शिव जी को जल अर्पित करने से बहुत लाभ होता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है। कि जो व्यक्ति सावन मास में जलाभिषेक करता है तो उसके घर मे सुख-समृद्धि आती है और सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है।Letsdiskuss


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Choreographer---Dance-Academy | Posted on


जलाभिषेक का अर्थ होता है जल से अभिषेक करना, जल अभिषेक भगवान शिव का किया जाता है और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक का विशेष महत्व है क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार जल पवित्रता का सूचक माना जाता है इसलिए इसी को भगवान को अर्पित करके श्रद्धालु भगवान से अपने मन की पवित्रता, स्वच्छता व हृदय में सद्भावना की कामना करते हैं।

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अगर साधारण शब्दों में समझाऊं तो शिव शब्द संस्कृत का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है कल्याण है। भगवान शिव की आराधना अनादि काल से चली आ रही है और किसी भी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिव की आराधना की जाती है।
उन्होंने बताया कि अनेक वस्तुओं से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। जैसे की दुग्धाभिषेक पुत्र प्राप्ति के लिए, दही का अभिषेक स्नेह के लिए, घी का अभिषेक, प्रेम वृद्धि के लिए, शहद का अभिषेक धन के लिए, गन्ने के रस का अभिषेक व्यापार वृद्धि के लिए, गिलोय रस रोग नाश के लिए, बेल का रस सम्मान प्राप्ति के लिए किया जाता है।

अभिषेक के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां जो सबको मालुम होनी चाहिए -


- पंचामृत चढ़ाने के पश्चात जल अवश्य चढ़ाएं, भूलें नहीं |


- शिव पर रोली न चढ़ाकर चंदन चढ़ाएं |


- खंडित बेलपत्र न चढ़ाएं


- जलाभिषेक के समय सबसे प्रथम गणेश जी, नंदी जी, कार्तिकेय, गौरीजी उसके पश्चात शिव¨की क्रमपूर्वक पूजा करनी चाहिए।


- शिवजी के जलअहरी का जल न लांघना चाहिए और न पीना चाहिए।


- प्रत्येक वैष्णव को नारायण भक्ति के लिए शिव की आराधना करनी चाहिए।

ऐसे ही हिन्दू धर्म में मान्यता है की जो लोग नियमित रूप से जलाभिषेक करते है और भगवान शिव की पूजा करते है उनकी हर मन्नत और हर ख्वाइश पूरी हो जाती है | जलाभिषेक का सबसे सही समय सोमवार का दिन समझा जाता है क्योंकि इस दिन भगवन शिव की पूजा होती है और उन्हें खुश करने का सबसे अच्छा दिन भी माना जाता है |

इतना ही नहीं बल्कि ऐसा माना जाता है की जल में भगवान विष्णु का वास होता है और जल का एक नाम 'नार' भी है। इसीलिए भगवान विष्णु को नारायण भी कहा जाता है | जल से ही धरती का ताप दूर होता है और जो भक्त शिव को जलधारा चढ़ाते हैं उनके ताप, संताप, रोग-शोक, दुःख दरिद्र सभी दूर हो जाते हैं।
भगवान शिव की आराधना वैदिक आराधना है। भारत वर्ष में जितने भी शिवधाम हैं वहां वेद मंत्रों के साथ ही पूजा की जाती है।


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जलाभिषेक का महत्व:-

जलाभिषेक का मतलब होता है जल से अभिषेक करना यानी कि भगवान शिव को जल से अभिषेक कराया जाता है जो व्यक्ति भगवान शिव को जल अभिषेक करता है उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं उसके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कष्ट नहीं आता। हमेशा जलाभिषेक भगवान शिव का ही किया जाता है वहां पर मौजूद किसी भी देवी देवताओं का जलाभिषेक नहीं किया जाता है। हमारे हिंदू धर्म में जलाभिषेक का बहुत ही महत्व है। जलाभिषेक करने के बाद कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। जलाभिषेक करते वक्त कुछ इस तरह की बातों को अवश्य ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जलाभिषेक के समय जल में तुलसी के पत्ते ना डालें क्योंकि शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि भगवान शिव को तुलसी अर्पित करना निषेध माना गया है।Letsdiskuss


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