शनि जयंती का क्या महत्व है? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog

Brij Gupta

Optician | Posted on | Astrology


शनि जयंती का क्या महत्व है?


10
0




Blogger | Posted on


कैसे करें शनिदेव की पूजा

शनिदेव की पूजा विधि - शनिदेव की पूजा भी बाकि देवी-देवताओं की पूजा की तरह सामान्य ही होती है। प्रात:काल उठकर शौचादि से निवृत होकर स्नानादि से शुद्ध हों। फिर लकड़ी के एक पाट पर काला वस्त्र बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर या फिर एक सुपारी रखकर उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं। शनिदेवता के इस प्रतीक स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवायें। इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। तत्पश्चात इमरती व तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य अपर्ण करें। इसके बाद श्री फल सहित अन्य फल भी अर्पित करें। पंचोपचार पूजन के बाद शनि मंत्र का कम से कम एक माला जप भी करना चाहिये। माला जपने के पश्चात शनि चालीसा का पाठ करें व तत्पश्चात शनि महाराज की आरती भी उतारनी चाहिये।



4
0

Blogger | Posted on


शनि जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है| इस दिन शनिदेव का पूजन किया जाता है, जिन्हें शनि की शनि की साढ़े साती, शनि की ढ़ैय्या या शनि के कोई भी दोष हैं उन्हें इस दिन पूजन करना चाहिए| शनि की महादशा का काल 19 साल का होता है| शनि को क्रूर ग्रहों में गिना जाता है और यह माना जाता है कि यह अशुभ फल देने वाला होता है बल्कि ऐसा बिलकुल नहीं है| शनि देव न्याय करने वाले देवता हैं और वह व्यक्ति के कर्म के अनुसार उन्हें फल देने में विश्वास रखते हैं| जो लोग बुरे कर्म करते हैं उन्हें वह सजा देते हैं और जो अच्छे कर्म करते हैं उन्हें वह अच्छे परिणाम देते हैं| इस वर्ष शनि जयंती 22 मई 2020 को पड़ रही है|

Letsdiskuss इमेज -गूगल

शनि जयंती के दिन कैसे पूजा करें:


शनि जयंती के दिन की पूजा करने के लिये कुछ अलग नहीं करना पड़ता| शनि देवता की पूजा भी अन्य देवी-देवताओं की तरह ही होती है| जो लोग शनि जयंती के दिन उपवास रखते हैं उन्हें सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए| इसके बाद पूजा के स्थान को साफ़ कर के गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए| इसके बाद लकड़ी के एक पटले पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं| कपड़ा नया और साफ़ होना चाहिए|

उसके बाद उस पटले पर शनि देव की मूर्ति स्थापित करें, अगर मूर्ति न हो तो उसमें शनि देव की तस्वीर भी रख सकते हैं| अगर किसी कारणवश आपके पास तस्वीर भी न हो तो आप एक सुपारी के दोनों तरफ घी या सरसों तेल का दीपक जलाकर उसकी पूजा कर सकते हैं| इसके बाद धुप जलाएं, और जो आपने पूजा के स्थान में स्थापित किया है उसका पूजन शुरू करें|

सबसे पहले आप दही के पंचामृत से मूर्ति को स्नान करवाएं, इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल चढ़ाएं, फिर नीले या काले रंग के फूल शनिदेव को अर्पित करें| भोग के रूप में शनि देव को तेल से बने पदार्थ चढ़ा सकते हैं| इसके बाद श्री फल(नारियल) के साथ और फल भी अर्पित करें| पूजन की इस प्रक्रिया के बाद शनि मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" का जाप 108 बार करें| इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करें और शनि देव की आरती करें|

इस तरह पूजा संपन्न करें और शाम के समय उड़द की दाल की खिचड़ी अथवा दाल खाई खा कर अपने व्रत को पूरा करें|

और पढ़े- शनि का पाया क्या कहलाता हैं ?


4
0

| Posted on


चलिए हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि शनि जयंती की पूजा का क्या महत्व है। शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की पूजा की जाती है इनकी पूजा भी सभी देवी देवताओं की तरह ही की जाती है इस दिन शनि से संबंधित सभी दोषों को दूर करने के लिए बहुत से महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जाते हैं हम आपको बता दें कि पीपल का संबंध शनिदेव से होता है इसलिए शनि जयंती पर पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शनिदेव को न्याय करने वाले देवताओं के नाम से जाना जाता है।

Letsdiskuss

और पढे- कौन सी बातें अपशगुन कहलाती है ?


4
0

| Posted on


शनि जयंती का हम सभी के जीवन मे बहुत ही महत्व है,धार्मिक मान्यताओ के अनुसार शनि जयंती के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए सभी लोग इस दिन शनिदेव की पूजा अर्चना पुरे श्रद्धा के साथ करने से आपके जीवन मे जो भी परेशानियां कष्ट होंगे वह दूर हो जाएंगे और आपके जीवन मे यदि शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या तथा शनि की महादशा के अशुभ प्रभाव से भी आपको हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा।Letsdiskuss


3
0