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भगवान विष्णु की सबसे प्रिय एकादशी तिथि 18 अप्रैल 2020 अर्थात आजशनिवार को है| इस एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है| वैसे तो हर महीने में 2 बार एकादशी तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में| एकादशी में भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करना लाभदायक होता है|
(इमेज -गूगल)
आइये जाने कि वरुथिनी एकादशी के दिन कौन से काम करना चाहिए:
वैसे तो धर्म कहता है कि एकादशी के व्रत के दिन दान जरुर करें, क्योंकि इस दिन दिए हुए दान का फल चार गुना मिलता है|
जिनके विवाह में कुछ अड़चन आ रही हो तो इस दिन केसर, केला या हल्दी का दान अवश्य करें ऐसा करना से विवाह सम्बंधित समस्या दूर होती है|
वरुथिनी एकादशी के दिन गंगा स्नान बहुत ही शुभ होता है, परन्तु इस वर्ष लॅाकडाउन के कारण यह संभव नहीं हो सकता इसलिए आप घर पर ही नहाने वाले जल में गंगाजल मिलाकर उससे स्नान कर सकते हैं|
वरुथिनी एकादशी का व्रत पूरे श्रद्धा भाव से करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं| यह व्रत आपकी सभी मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाला है|
जो लोग वरुथिनी एकादशी का व्रत रखते हैं साथ ही सच्चे मन से पूजन करते हैं उन्हें धन-सम्पदा, मान-सम्मान, सेहत, ज्ञान, संतान सुख, पारिवारिक सुख और हमेशा बड़ों का आशीर्वाद मिलता है|
इस दिन व्रत लेने से हमारे पूर्वजों को भी स्वर्ग का सुख मिलता है|
अब बात करते हैं कि वरुथिनी एकदशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए:
शाश्त्रों के अनुसार इस दिन चावल का सेवन पूरी तरह वर्जित है|
इस दिन किसी से कोई ऐसा शब्द न कहें जो उसके लिए हानिकारक हो| कठोर वचन आपके व्रत के प्रभाव को कम करता है|
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए|
इस दिन कांसें के बर्तन में भोजन न करें|
अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं तो ध्यान रखें कि घर में मांस मदिरा का सेवन न हो|
तो यह है वरुथिनी एकादशी के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें|
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वरुथिनी एकादशी का महत्व:- जैसे कि आप सभी जानते हैं कि आज वरुथिनी एकादशी है इस एकादशी को हर वर्ष वैशाख माह के कृष्ण पक्ष को रखी जाती है। इस एकादशी को भगवान विष्णु की सबसे प्रिय एकादशी मानी जाती है। और इस वर्ष यह एकादशी शनिवार के दिन पड़ रही है इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
वरुथिनी एकादशी के दिन दान पुण्य करना चाहिए। जो लोग इस व्रत को सच्चे मन से करते हैं उन्हें जीवन में धन, धान्य कि कभी भी कमी नहीं आती है ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से हमारे पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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