वर्तमान समय में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का मानो एक प्रचलन सा चल गया है । हर जगह शॉपिंग के लिए सिर्फ अपना डेबिट कार्ड और क्रडिट कार्ड का प्रयोग किया जा रहा है । हम जब भी अपने क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट करते हैं तो हम ट्रान्जेशन करते वक़्त कार्ड के पीछे लिखे CVV (Card Verification Value ) या CVC (Card Verification Code )नंबर का प्रयोग करते हैं । पर क्या हम इस बात को जानते हैं कि इस नंबर का प्रयोग क्यों होता है ।
CVV (Card Verification Value ) और CVC (Card Verification Code )
आप ने अपने डेबिट के पीछे 3 या 4 डिजिट का नंबर ज़रूर देखा होगा । वही 3 या 4 डिजिट का नंबर CVV नंबर कहलाता है । जब भी आप किसी भी प्रकार का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं तो यह CVV नंबर पूछा जाता है, जिस नंबर को भरने के बाद ही आपकी पेमेंट पूरी होती है और अगर आपके द्वारा यह नंबर नहीं भरा जाता तो आपका ट्रान्जेशन अधूरा रह जाता है ।
हमारे डेबिट और क्रेडिट कार्ड में कुछ कोड होते हैं जिन्हे कार्ड सिक्योरिटी कोड (CSC ) कहते हैं , इसका अविष्कार 1995 में UK के माइकल स्टोन ने किया और इस अविष्कार की जांच होने के बाद "एसोसिएशन ऑफ पेमेंट क्लीयरिंग सर्विसेज" ने इसे सिक्योरिटी के रूप में अपना लिया ।
पहले कोड 11 अंकों का हुआ करता था जो पूरा शो होता था परन्तु सुरक्षा की दृष्टि से इस कोड के डिजिट को 3 या 4 कर दिया बाकी सभी को हाईड कर दिया गया । आपके डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड में इन कोड के प्रयोग का मतलब आपके कार्ड की सुरक्षा से है ,इसका मकसद सिर्फ यह पता लगाना होता है कि कहीं आपका क्रेडिट कार्ड कहीं ग़लत हाथों में ना चला गया हो ।
(Courtesy : kentexcargo )