सियावर रामचंद्र की जय! रामायण हमारे दिलो दिमाग मे बसी हुई है। रामानंद सागर जी की रामायण ने हर घर में रामायण की छाप छोड़ी थी। उसके हर एक कलाकार ने हमे संपूर्ण रामायण का ज्ञान दिया। हम लोगो में से शायद ही किसी ने महर्षि वाल्मीकि की रामायण को पढ़ा होगा। लेकिन हम सभी ने रामानंद सागर जी की रामायण टीवी पर कई बार शुरू से अंत तक देखी है। जैसा की हम जानते है -
भगवान राम चार भाई थे - राम, लक्ष्मण, श्त्रुघन और भरत । भरत राम जी के सौतेले भाई थे। वह माता कैकयी के पुत्र थे। राम जी के माता सीता के विवाह की सूचना मिलने के बाद राजा दशरथ ने भरत और शत्रुघन का भी विवाह करने का निर्णय किया।
राजा दशरथ ने भरत का विवाह माता सीता की चचेरी बहनमांडवी के साथ किया।
मांडवी राजा कुशध्वज की पुत्री थी। मांडवी अत्यन्त सुंदर और सुशील थी। मांडवी को देवी रति का अवतार बताया जाता हैं । देवी रति कामदेव की पत्नी थी।
मांडवी को देवी लक्ष्मी के शंख का भी अवतार माना जाता हैं।
मांडवी और भरत के दो पुत्र थे - तक्ष और पुष्कल ।
मांडवी पतिव्रता नारी थी। वह सदैव ही भरत के दुख सुख में उनके साथ रही और उनका हमेशा सहयोग किया।
भरत की तरह मांडवी ने भी वानप्रस्थ जीवन जिया।
देवी मांडवी ने माता कैकयी, कौशल्या और माता सुमित्रा की हमेशा सेवा की।
भरत ने अपने जीवन में कई घटनाओ को देखा। जैसे राम सीता का वनवास, लवकुश से युध्य, माता सीता की अग्नि परीक्षा और धरती मे समा जाना।
जब राम जी का अंत समय आया तो राम जी ने आयोध्या के समीप सरयू नदी मे समाधि ले ली थी। इसी के पश्चात् भरत ने भी सरयू नदी मे समाधि ले ली थी और बैकुंठ धाम लौट गए थे।

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