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इतना ही नहीं बल्कि सर्वनन्दि नामक दिगम्बर जैन मुनि द्वारा मूल रूप से प्रकृत में रचित लोकविभाग नामक ग्रंथ में शून्य का उल्लेख सबसे पहले मिलता है। इस ग्रंथ में दशमलव संख्या पद्धति का भी उल्लेख है और यह उल्लेख सन् 498 में भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता आर्यभट्ट ने आर्यभटीय ([ सङ्ख्यास्थाननिरूपणम् ]) में कहा है और सबसे पहले भारत का ‘शून्य’ अरब जगत में ‘सिफर’ (अर्थ – खाली) नाम से प्रचलित हुआ लेकिन फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में ‘जीरो’ (Zero) कहते हैं।
मगर सोचने वाली बात है की इतने वर्षों बाद भी यह बात भारत के लिए एक रहस्य बना हुआ है की क्या सच में जीरो भारत का अविष्कार है या किसी और का।
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