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शून्य (Zero) का आविष्कार कब और किसने किया?


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E-commerce Trainer | Posted on


शून्य का आविष्कार किसने और कब किया यह आज तक यह जानकारी छुपी हुई है लेकिन भारतीय ‌गणितज्ञ वर्षों से ये दावा करते रहे हैं कि शून्य का अविष्कार भारत में किया गया था कहा जाता है की शून्य का आविष्कार भारत में पांचवीं शताब्दी के मध्य में शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट जी ने किया उसके बाद ही यह दुनिया में प्रचलित हुई लेकिन


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आपको इस बात को जान कर हैरानी होगी मगर यह सच है शून्य का अविशगकार किसने किया यह बात एक रहस्य बनी हुई है | तो चलिए आपको बतातें है अगर ऐसा सच सच है तो यह कब और कैसे आविष्कार किया गया | मगर भारतीय ‌गणितज्ञ वर्षों से ये दावा करते रहे हैं कि शून्य का अविष्कार भारत में किया गया था कहा जाता है की शून्य का आविष्कार भारत में पांचवीं शताब्दी के मध्य में शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट जी ने किया उसके बाद ही यह दुनिया में प्रचलित हुई लेकिन अमेरिका के एक गणितज्ञ कहना है कि शून्य का आविष्कार भारत में नहीं हुआ था। अमेरिकी गणितज्ञ आमिर एक्जेल ने ‌सबसे पुराना शून्य कंबोडिया में खोजा है।

इतना ही नहीं बल्कि सर्वनन्दि नामक दिगम्बर जैन मुनि द्वारा मूल रूप से प्रकृत में रचित लोकविभाग नामक ग्रंथ में शून्य का उल्लेख सबसे पहले मिलता है। इस ग्रंथ में दशमलव संख्या पद्धति का भी उल्लेख है और यह उल्लेख सन् 498 में भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता आर्यभट्ट ने आर्यभटीय ([ सङ्ख्यास्थाननिरूपणम् ]) में कहा है और सबसे पहले भारत का ‘शून्य’ अरब जगत में ‘सिफर’ (अर्थ – खाली) नाम से प्रचलित हुआ लेकिन फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में ‘जीरो’ (Zero) कहते हैं।

मगर सोचने वाली बात है की इतने वर्षों बाद भी यह बात भारत के लिए एक रहस्य बना हुआ है की क्या सच में जीरो भारत का अविष्कार है या किसी और का।

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