नवरात्री का चौथा दिन मां कुष्मांडा का पूजन करते हैं । माता कुष्मांडा को कुम्हड़े(भूरा कद्दू ) की बलि देना चाहिए । मां कुष्माण्डा की आठ भुजाएं हैं इसलिए उन्हें अष्टभुजा वाली माँ भी कहते हैं । माता का वाहन शेर है और माता का निवास सूर्यमंडल के अंदर माना जाता है । सूर्यलोक में रहने की किसी में क्षमता है तो वो सिर्फ मां कुष्माण्डा में है। माता का सच्चे मन से पूजन घर में हमेशा सुख शांति लाता है और घर में कभी दुःख की छाया भी नहीं आने देता । माता कुष्मांडा का श्रृंगार लाल रंग से और भक्तों को नारंगी वस्त्र पहनना चाहिए ।
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पूजा विधि
सर्वप्रथम घट का पूजन फिर नवग्रह पूजन उसके बाद उन सभी देवियों और देवताओं का पूजन करते हैं जिनका आपने आवाहन किया है। उसके बाद माता का पूजन करना चाहिए । माता के पूजन में अगर हरे रंग का आसान बैठने के लिए प्रयोग किया जाए तो बहुत ही अच्छा होता है और अगर हो तो कोई बात नहीं । "सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु " इस मंत्र का जाप 108 बार करें ।
व्रत कथा
एक कथा के अनुसार माना जाता है कि जब दुनिया का कोई अस्तित्व नहीं था तब माँ कुष्मांडा ने ब्रह्माण्ड की रचना की । माँ कुष्मांडा ने दुनिया को रूप और शक्ति प्रदान की इसलिए इन्हें आदिशक्ति और आदि स्वरूपा भी कहते हैं । माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाना बहुत ही लाभकारी होता है ।