क्या आप जानते हैं की भागवत कथा कब करनी चाहिए। यदि आप जानते हैं तो अच्छी बात है और यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो चलिए आज हम आपको इसकी जानकारी देते हैं।
यहां पर मैं आपको बताने वाली हूं की भागवत कथा कब करानी चाहिए:-
भागवत कथा करने के लिए आषाढ़, श्रावण,भाद्रपद, अश्विन, मार्गशीर्ष,अधिक मास, पितृपक्ष सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। आप इन महीने में किसी भी महीने में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कर सकते हैं।
लिए हम आपको भागवत गीता कथा करने की विधि बताते हैं:-
हमारे हिंदू धर्म में भागवत गीता को सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। भगवत गीता ग्रंथ वह ग्रंथ है जो अधिक पढ़ा जाता है। मैं आपको बता दूं कि इस ग्रंथ में मानव जीवन के हर प्रश्न का उत्तर दिया जाता है।
भागवत गीता करने के लिए सबसे पहले किसी योग्य ज्योतिषी से शुभ मुहूर्त निकलवाना पड़ता है।
शुभ मुहूर्त निकालने के बाद भागवत गीता कथा करने के लिए जिस तरह गरीब कन्या के विवाह के लिए अन्य लोगों से सहायता लेकर धन एकत्रित करते हैं। ठीक इसी तरह भागवत गीता कथा करने के लिए भी लोगों की सहायता से धन एकत्रित किया जाता है।
और जब धन एकत्रित हो जाता है तो उसके बाद सपरिवार लोगों को भगवत गीता कथा में पधारने के लिए अनुरोध किया जाता है।
आपने जिस जगह पर भागवत गीता कथा करने के लिए जगह का चुनाव किया है। उसे जगह को अच्छे से साफ सफाई करना चाहिए, और उसे जगह पर पुष्प और तुलसी के पौधे लगाना चाहिए।
इसके बाद किसी योग्य भागवत गीता कथा वाचन ब्राह्मण को आमंत्रित करना चाहिए।
इसके बाद जिस स्थान पर कथा होनी है उसके मुख्य द्वार को केले के पत्तों से सजाना चाहिए। तथा फल, फूल आदि लगाना चाहिए।


