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पश्चिमी लोगों के पास यात्रा करने के लिए ...

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| Updated on April 24, 2020 | others

पश्चिमी लोगों के पास यात्रा करने के लिए पैसे कहाँ से आते है?

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Awni rai

@awnirai3529 | Posted on April 24, 2020

पैसे की बचत और इसे कुशलता से उपयोग करना:
जैसे किसी ने पहले ही उल्लेख कर दिया हो।
और कभी-कभी यू.एस. या यू.के. के एक सभ्य वेतन वाले लोगों के पास भारत में यात्रा करने के लिए बहुत सारे स्थान होंगे क्योंकि अधिकांश स्थान बहुत सस्ती हैं।
मैं एक बार कश्मीर में अमेरिका के एक छात्र से मिला, जिसने हमारे साथ श्रीनगर से जम्मू की यात्रा की। उसने कॉलेज में अजीबोगरीब काम करने के दौरान कुछ पैसे बचाए थे और उसने मुझे बताया कि वह पहले से ही भारत में बहुत सारी जगहों पर गया था और वह अगले अफगानिस्तान जाने की योजना बना रहा था।
पश्चिमी लोग धन खर्च करने के बारे में बहुत सतर्क रहेंगे और फालतू के कामों में लिप्त नहीं होंगे। वे हर वस्तु को अच्छी तरह से जांच लेंगे और फिर कुछ खरीदेंगे।
कहने की जरूरत नहीं है कि हमारे आदमी को सबसे सस्ते ढाबों पर राजमा-चॉल की आमद थी, जबकि जब भी हम रुकते थे, हम रेस्तरां में अच्छा खाना खाते थे। अगर वह ऐसा नहीं करता तो वह कभी भी अफगानिस्तान नहीं जाता।
और वह मूल रूप से मेनू की पूरी तरह से जांच करेगा, अपनी उंगलियों को मूल्य कॉलम के माध्यम से चलाएगा और हर बार सबसे सस्ती वस्तु के लिए व्यवस्थित होगा। उसके लिए, यात्रा का आनंद उसके दिल (और पेट, उस बात के लिए) को भरने के लिए पर्याप्त था।

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@praveenmarketing8137 | Posted on May 1, 2020

पश्चिमी देशों के लोगों के पास यात्रा करने के लिए कितना पैसा कहां से आता है यह बहुत ही मूलभूत सवाल है जबकि होता यह है कि हमारे देश भारत में भी लोग यात्रा करते हैं लेकिन वह जो यात्रा करते हैं वह यात्रा का खर्च वह स्वयं उठाते हैं परंतु यही यात्रा करने के लिए पश्चिमी देश के लोग अपनी जेब से ₹1 भी खर्च नहीं करते क्योंकि जैसे ही पश्चिमी देशों के बच्चे बड़े होकर अपनी शिक्षा समाप्त करके युवा हो जाते हैं और उन्हें अगर उस समय रोजगार नहीं मिलता है तो वहां का एक नियम है वहां की सरकार उन लोगों को बेरोजगारी भत्ता देती है यही बेरोजगारी भत्ता देने का नियम हमारे देश भारत में भी है शिक्षा समाप्त होने के बाद कोई भी युवा भारत में रोजगार कार्यालय में अपनी बेरोजगारी का पंजीयन करा सकता है वहां पर उसे एक फार्म भरना पड़ता है और उस फार्म में अपनी शिक्षा की जानकारी अपनी योग्यता की जानकारी और अपनी बेरोजगारी के बारे में जानकारी देना होती है परंतु हमारे यहां पर बेरोजगारों को भत्ता सिर्फ ₹500 महीना या हजार रुपए महीना ही दिया जाता है परंतु विदेशों में यही भत्ता $1000 से $5000 या फिर उनकी आयु वर्ग और उनकी शिक्षा के आधार पर दिया जाता है जब तक कि उनको रोजगार नहीं मिल जाता इसलिए वह लोग रोजगार मिलने तक भत्ता लेते रहते हैं और उसी भत्ते को जो उनको डॉलर के रूप में मिलता है हमारे देश भारत, बैंकॉक, मलेशिया ,सिंगापुर विदेश मिडल ईस्ट के देशों में यात्रा करने के लिए निकल पड़ते हैं क्योंकि उनकी करेंसी हमारे देशों की करेंसी से काफी गुना मजबूत होती है और उस भत्ते से वह बहुत ही आराम दायक जीवन यात्रा करते हैं और उसी भत्ते से वह काफी देशों की यात्रा कर चुके होते हैं और जब तक वह बता खत्म होने तक आता है तो वह वापस अपने देश चले जाते हैं क्योंकि महीने की 1 तारीख आते ही उनको फिर से भत्ता मिलता है और वह अपने घर पर कुछ पैसा खर्च करके फिर दूसरे देशों की यात्रा का प्लान करके निकल जाते हैं यही कारण है कि जब तक उन को रोजगार मिलता है वह काफी देशों की यात्रा कर चुके होते हैं चूंकि भत्ते की रकम काफी कम होती है परंतु उनके डालर की राशि मजबूत होने के कारण वह हमारे भारत देश की तरफ पढ़ने वाले देशों की यात्रा करना आसान होता है क्योंकि यह उनकी अपेक्षा काफी सस्ते होते हैं. यही कारण है कि पश्चिमी देशों के लोग बहुत ही आसानी से एशियन महादीप की तरफ आकर इन देशों की यात्रा करके घूम फिर कर मौज मस्ती करके वापस अपने देश निकल जाते हैं
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