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Financial analyst (Mudra finance company) | Posted on | Astrology


आर्थिक और पारिवारिक कष्टों की मुक्ति के लिए कौन से मंदिर में दर्शन करें ?


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आज के समय में लोग आर्थिक और पारिवारिक कष्ट से जूझ रहे ऐसे में लोग तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं लेकिन फिर भी उन्हें आर्थिक और पारिवारिक कष्ट से मुक्ति नहीं मिलती है ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के नाम बताएंगे जिनके मात्र दर्शन से ही आर्थिक और पारिवारिक कष्ट से मुक्ति मिल सकती है।

जटोली शिव मंदिर यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है यह मंदिर एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है इस मंदिर में भगवान शिव जी की मूर्ति स्थापित है ऐसी मानता है कि इस मंदिर के मात्र दर्शन से ही भक्तों की दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

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(Famous temples in India) - भारत एक ऐसा देश है जहां आपको कई ऐसी चीज़ें देखने को मिलेगी जिन्हें आँखों से देखने पर भी भरोषा नहीं होगा | आज हम आपको पहाड़ें में बसें कुछ ऐसे आध्यात्मिक और चमत्कारी मंदिरों के बारें में बताएँगे जहां दर्शन मात्र से ही आपके सारे दुःख दर्द और कष्ट दूर हो जाते है | आर्थिक और पारिवारिक कष्टों की मुक्ति के लिए एक बार आप भी जरूर जाए इन मंदिरों में माथा टेकने |


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नैना देवी – Naina devi temple
नैना देवी हिमाचल प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो बिलासपुर की पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक शक्ति पीठ है। यहां देवी सती के नैत्र गिरे थे।
यहां के लोगों ने इस मंदिर में बसने वाली देवी को भीम की पत्नी का दर्जा दिया है। इस मंदिर की कई कहानियां महाभारत से जुड़ी हैं|


चंपावती मंदिर (Champavati Temple)
यह चंबा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है | इसे चामेशनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है ।
मंदिर को शिखर शैली (Peak style) में बनाया गया है। पत्थरों पर की गई खूबसूरत नक्काशी यहां देखने लायक है|
मंदिर का निर्माण राजा साहिल वर्मा ने अपनी पुत्री चंपावती की याद में कराया था।


सुई माता मंदिर (sui mata temple)
चंबा के निवासियों के लिए अपना जीवन त्यागने वाली यहां की राजकुमारी सुई को यह मंदिर समर्पित है। यह मंदिर शाह मदार हिल की चोटी पर बना हुआ है।
कठों के अनुसार यहां सुई माता नें कुछ समय के लिए विश्राम किया था। यहां चैत महीने से बैसाख महीने तक सुई माता का मेला लगता है |


जटोली शिव मंदिर- Jatoli temple
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित जटोली शिव मंदिर एशिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है |
इसका निर्माण पिछले 35 वर्ष से चल रहा है।
इस मंदिर की स्थापना स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने 1973 की थी जो 1983 में ब्रह्मलीन हो गए। इस मंदिर की खास बात है कि इसका निर्माण भक्तों के दान से किया गया।
यहां भगवान शिव की प्राकृतिक गुफा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है।


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कंठी माता मंदिर शहर के बीचों बीच स्थित है। दिल्ली से भैंसाली रोडवेज बस अड्डे तक पहुंचकर रिक्शा, ऑटो व सिटी बस द्वारा बच्चा पार्क तक जाकर कंठी माता के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से मंदिर तक की दूरी करीब 66 किलोमीटर है। शहर में मंदिर तक पहुंचने के लिए सहज परिवहन सेवा उपलब्ध है।

मंदिर की विशेषता ये है कि यहां स्थापित अलग-अलग माताओं की मूर्ति अलग-अलग रोग निवारण के लिए जानी जाती है। कंठी माता के सामने लोग गला संबंधी रोग से निदान पाने के लिए सिर सजदा करते हैं। महिलाएं यहां अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और निरोग रहने की कामना मांगने आती हैं। मंदिर के पुजारी दिनेश नौटियाल के अनुसार यह मंदिर एक प्राचीन सिद्ध पीठ है। उनका कहना है कि मंदिर करीब दो सौ साल पुराना है। यहां सच्चे से मन से मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है।

पिछले 50 वर्षों में कंठी माता मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है। यहां कंठी माता, शीतला माता, हंडिया माता, ललिता माता, फूलमती माता, दुर्गा माता व खो-खो माता की मूर्ति हैं। मान्यता है कि यहां स्थापित देवी की मूर्ति अलग-अलग रोग को दूर करने का परम आशीर्वाद देती हैं। यहां चुनरी व प्रसाद के साथ पूजा-अर्चना करने पर मां का आशीर्वाद मिलता है, इसलिए यहां दूर-दूर से लोग बच्चों और बड़ों को लेकर बीमारियों पर अंकुश लगवाने के लिए मां का आशीर्वाद लेने आते हैं।



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