क्या आपने कभी खुद से पूछा है, "सुंदरता क्या है?" मेरा जवाब है कि हर महिला खूबसूरत होती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या दिखते हैं आप सुंदर हैं। लेकिन कई महिलाएं सोचती हैं कि सुंदरता क्या है, इसकी समझ के कारण वे नहीं हैं।
क्या आपने कभी खुद से पूछा है, "सुंदरता क्या है?" मेरा जवाब है कि हर महिला खूबसूरत होती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या दिखते हैं आप सुंदर हैं। लेकिन कई महिलाएं सोचती हैं कि सुंदरता क्या है, इसकी समझ के कारण वे नहीं हैं।
देह के आकर्षण में फसी ये दुनिया अक्सर सुंदरता केवल शरीर की बनावट को मानती है और जिस स्त्री की शारीरिक बनावट जितनी अच्छी उसे उतना ज्यादा सुंदर माना जाता है। परंतु यह बिल्कुल भी सही नहीं है शारीरिक सुंदरता भी एक सुंदरता है परंतु वास्तविक सुंदरता शारीरिक बनावट में नहीं अपितु आंतरिक मन में है। शारीरिक बनावट कुछ वर्षों के लिए ही मनुष्य में रहती है जिस प्रकार सूर्य उदय होता है और अपने निश्चित समय बाद ढल जाता है उसी प्रकार शारीरिक सुंदरता भी है जो कुछ वर्षों के लिए होती है और एक दिन खत्म हो जाती है परंतु मन की आंतरिक सुंदरता कभी नष्ट नहीं होती। मन में यदि अच्छे विचार दूसरों के प्रति प्रेम व दया के भाव आदि गुण है और साथ ही घमंड ईर्ष्या आदि दुर्गुण किसी स्त्री में नहीं है तो सही मायने में ये स्त्री की वास्तविक सुंदरता है। परंतु आजकल ये देखा जा रहा है किशारीरिक सुंदरता को ही सर्वश्रेष्ठ माना जा रहा है जबकि वास्तविक सुंदरता गुणों से हैं।
जो स्त्रियां सुंदर हैं लेकिन जिंनके अंदर अहम का भाव आ जाता है वह सुंदर हो ही नहीं सकती अगर स्त्रियों में सुंदरता के साथ प्रेम, मधुरता और विनम्रता का भाव आ जाए तो स्त्रियां और भी ज्यादा सुंदर हो जाती है।
आज के समय में ज्यादातर स्त्रियों में रूप की सुंदरता का घमंड होता है इसीलिए ज्यादातर स्त्रियां लोगों से सीधे मुंह बात करना भी पसंद नहीं करती, क्योंकि इन स्त्रियों को लगता है कि वह अगर ऐसे इंसान से बोल जाए जो उनके मुकाबले इतना सुंदर नहीं है तो उनकी प्रतिष्ठा में कमी आएगी, इसीलिए ऐसी स्त्रियां अपने अहम को स्वीकार करती हैं और अपने अहम के वेग में रहकर विनम्रता के भाव को खो देती हैं इसीलिए ऐसी स्त्रियों को सुंदर नहीं कहा जा सकता।
मेरी नजरों में सुंदर वही है जो मन का सुंदर हो। स्त्री और पुरुष का सुंदर होना उनके गुणों पर निर्भर करता है। स्त्री पुरुषों में दया, करुणा,भाव,प्रेम होता है और जो प्रकृति के बनाए हर एक चीज से प्रेम करते हैं वही सही मायने में सुंदर हैं। इसीलिए मेरी नजर में स्त्रियों का सुंदर होना आत्मा का सुंदर होना है।
कई महिलाओं में सुंदरता कूट कूट कर भरा रहता है लेकिन क्या आप जानते हैं की केवल सुंदरता पा लेने से गुणवान नहीं बन जाता है गुमान बनने के लिए तन और मन का सुंदर होना चाहिए। लेकिन ज्यादातर आपने देखा होगा कुछ कुछ स्त्रियों को अपने सुंदरता का इतना घमंड होता है कि वह किसी से सीधे मुंह बात नहीं करती है क्योंकि उनके अंदर घमंड कूट कूट कर भरा रहता है लेकिन बाहरी सुंदरता तो समय होते ही ढल जाती है लेकिन आंतरिक सुंदरता ऐसी होती है जो हमेशा रहती है इसलिए आप अपने आंतरिक सुंदरता को ताकि लोग आपको हमेशा याद रखें।
* स्त्री की सुंदरता उसके चरित्र से होनी चाहिए ना कि उसके चेहरे से क्योंकि, चेहरा तो एक दिन ढल जाता है और हमारा चरित्र ही होता है जो हमेशा सुंदर रहता है ! एक स्त्री के अंदर दया प्रेम क्षमा, करुणा भावना का होना आवश्यक है ! यही एक प्राकृतिक साधन होता है जो स्त्री की सुंदरता को बताता है ! इसीलिए एक स्त्री को हमेशा दिल से सुंदर होना चाहिए !