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हिंदू पौराणिक कथाओं में, गंधर्व दिव्य प्राणी हैं जो अपनी असाधारण संगीत क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं, जिन्हें अक्सर कुशल गायक, संगीतकार और पवित्र ज्ञान के संरक्षक के रूप में दर्शाया जाता है। शब्द "गंधर्व" संस्कृत से लिया गया है, जहां "गंध" का अर्थ है 'सुगंध' और "रवा" का अर्थ है 'ध्वनि' या 'संगीत'। गंधर्व इन दोनों तत्वों से जुड़े हैं, जो उनकी संगीत शक्ति और दिव्य सुगंध पर जोर देते हैं।
यहां हिंदू पौराणिक कथाओं में गंधर्वों से जुड़े कई प्रमुख पहलू और भूमिकाएं दी गई हैं:
दिव्य संगीतकार: गंधर्व अपनी असाधारण संगीत प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि वे दिव्य धुनें और मनमोहक धुनें बनाते हैं जो आकाश में गूंजती हैं। उनके संगीत को मंत्रमुग्ध करने वाला और आध्यात्मिक रूप से उत्थान करने वाला कहा जाता है।
पवित्र ज्ञान के संरक्षक: अपनी संगीत क्षमताओं के अलावा, गंधर्वों को अक्सर पवित्र ज्ञान के संरक्षक के रूप में चित्रित किया जाता है। उनके पास गहन ज्ञान है और वे अक्सर देवताओं और मनुष्यों के बीच दूत के रूप में काम करते हैं, ज्ञान और जानकारी प्रदान करते हैं।
विवाह और रोमांस: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंधर्व रोमांटिक कहानियों और प्रेम कहानियों से भी जुड़े हुए हैं। उन्हें अक्सर अप्सराओं के साथी के रूप में चित्रित किया जाता है, स्वर्गीय अप्सराएँ जो अपनी सुंदरता और अनुग्रह के लिए जानी जाती हैं। गंधर्वों को अप्सराओं के साथ मिलन बनाने के लिए जाना जाता है, जो प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है।
ऋतुओं से संबंध: कुछ ग्रंथों में उल्लेख है कि गंधर्व बदलते ऋतुओं से जुड़े हैं। ऐसा माना जाता है कि उनमें मौसम को नियंत्रित करने और प्रभावित करने की क्षमता होती है, खासकर अपनी संगीत प्रस्तुतियों के माध्यम से, जो मौसम को प्रभावित कर सकती है।
संरक्षक और संरक्षक: गंधर्वों को दिव्य प्राणी माना जाता है जो स्वर्ग में विशिष्ट क्षेत्रों या खजाने की रक्षा करते हैं। वे ब्रह्मांड में दैवीय व्यवस्था और संतुलन बनाए रखने में भूमिका निभाते हैं।
हिंदू धर्मग्रंथों में उपस्थिति: गंधर्वों का संदर्भ विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों जैसे वेदों, पुराणों और महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में पाया जा सकता है। वे अक्सर कहानियों के हिस्से के रूप में दिखाई देते हैं, इन कथाओं में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते हैं।
मनुष्यों के साथ बातचीत: जबकि गंधर्व मुख्य रूप से दिव्य लोकों में रहते हैं, कुछ कहानियाँ गंधर्वों और मनुष्यों के बीच बातचीत को दर्शाती हैं। कभी-कभी अनुष्ठान और बलिदान करने वाले ऋषियों या मनुष्यों द्वारा उनकी संगीत क्षमताओं की तलाश की जाती है।
विविध चित्रण: गंधर्वों के चित्रण की प्रकृति विभिन्न ग्रंथों और आख्यानों में भिन्न हो सकती है। कभी-कभी उन्हें शरारती या चंचल प्राणियों के रूप में चित्रित किया जाता है, जबकि अन्य उदाहरणों में, उन्हें बुद्धिमान और परोपकारी के रूप में दिखाया जाता है।
गंधर्वों का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं में दिव्य रचनात्मकता, ज्ञान और संगीत और कला के महत्व के प्रतिनिधित्व में निहित है। वे आध्यात्मिक क्षेत्र तक पहुंचने के साधन के रूप में संगीत की सुंदरता और उत्कृष्टता का प्रतीक हैं।
गंधर्व हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जो कला, संगीत, ज्ञान और दिव्य क्षेत्रों के अंतर्संबंध का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका अस्तित्व उच्च प्राणियों में विश्वास को दर्शाता है जिनके गुण मानव जीवन, आध्यात्मिकता और ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हैं। संगीत, ज्ञान और दिव्य व्यवस्था के साथ उनका जुड़ाव हिंदू पौराणिक कथाओं में उनकी श्रद्धेय स्थिति को उजागर करता है।
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गन्धर्व वेदों में अकेला देवता था, जो स्वर्ग के रहस्यों तथा अन्य सत्यों का उद्घाटन किया करता था। वह सूर्याग्नि का प्रतीक भी माना गया है। वैदिक, जैन, बौद्ध धर्म ग्रन्थों में आदि में गन्धर्व और यक्षों की उपस्थिति बताई गई है। गन्धर्वों का अपना लोक है। पौराणिक साहित्य में गन्धर्वों का एक देवोपम जाति के रूप में उल्लेख हुआ है|
(इमेज - गूगल)
जब गन्धर्व-संज्ञा जातिपरक हो गई, तब गन्धर्वों का अंतरिक्ष में निवास माना जाने लगा और वे देवताओं के लिए वो सोम रस प्रस्तुत करने लगे।
नारियों के प्रति उनका विशेष आकर्षण था और उनके ऊपर वे जादू-से प्रभाव डाल सकते थे। अथर्ववेद में ही उनकी संख्या 6333 बतायी गई है।
सोम रस के अतिरिक्त उनका सम्बन्ध औषधियों से भी था। वे देवताओं के गायक भी थे, इस रूप में इन्द्र के वे अनुचर माने जाते थे।
विष्णु पुराण के अनुसार वे ब्रह्मा के पुत्र थे और चूँकि वे माँ वाग्देवी का पाठ करते हुए जन्मे थे, उनका नाम गन्धर्व पड़ा।
पौराणिक उल्लेख विष्णु पुराण का ही उल्लेख है कि, वे कश्यप और उनकी पत्नी अरिष्टा से जन्मे थे। हरिवंशपुराण उन्हें ब्रह्मा की नाक से उत्पन्न होने का उल्लेख करता है।
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गंधर्व वेदों में एक अकेला देवता था जो स्वर्ग के रहस्यों तथा अन्य सत्यों का उद्घाटन किया करता था तथा गंधर्व अप्सराओं के पति थे गंधर्व सूर्य अग्नि का प्रतीक भी माना जाता है गंधर्व का नारियों के प्रति विशेष अनुराग था मैं उन पर जादू सा कर देते थे सोमरस के अतिरिक्त गंधर्व का संबंध औषधियों से भी था वे देवताओं के गायक भी थे और विष्णु पुराण के अनुसार गंधर्व ब्रह्मा के पुत्र थे लेकिन वे वाग्देवी का पाठ करते हुए जन्मे थे इसलिए उनका नाम गंधर्व पड़ा। हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार गंधर्व मनुष्य तथा देवताओं के बीच दूत वाहक का काम करते थे।
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@letsuser | Posted on
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क्या आप जानते हैं कि गंधर्व कौन थे। यदि आप जानते हैं तो अच्छी बात है और यदि आप नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं चलिए हम आपको इसकी जानकारी देते हैं। आप जानना चाहते हैं कि गंधर्व कौन है तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि गंधर्व स्वर्ग में रहने वाले देवताओं की प्रजाति के हैं, गंधर्व स्वर्ग लोक के राजा इंद्रदेव की यहां के गायक भी है। गंधर्व अप्सराओं के पति भी हैं। इतना ही नहीं गंधर्व को सूर्य और अग्नि का प्रतीक माना जाता है। विष्णु पुराण में बताया जाता है कि गंधर्व भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र भी थे। गंधर्व मनुष्य देवताओं के बीच दूत का भी काम करते हैं। इस प्रकार गंधर्व के अनेक रूप है। जो कि हमने आपको यहां पर बता दिया है अब तो आपको इसकी जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
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आज हम गंधर्व के बारे में आपको बताएंगे।
वे देवताओं के गायक भी थे, इस रूप में इन्द्र के वे अनुचर माने जाते थे। विष्णु पुराण के अनुसार वे ब्रह्मा के पुत्र थे और चूँकि वे माँ वाग्देवी का पाठ करते हुए जन्मे थे, उनका नाम गन्धर्व पड़ा। पौराणिक उल्लेख विष्णु पुराण का ही उल्लेख है कि, वे कश्यप और उनकी पत्नी अरिष्टा से जन्मे थे।
गंधार वी स्वर्ग के राजा थे तथा अप्सराओं के पति थे।
इन गंधर्वों में हाहाहूहू, चित्ररथ, रस, विश्वावसु, गोमायु, तुंबुरु और नंदि प्रधान माने गए हैं । गंधर्व मनुष्य तथा देवताओं के बीज दूत वाहक का काम किया करते थे। गंधर्व इस रूप में इंद्र के अनुचक माने जाते हैं। आयुर्वेद में गंधर्व की संख्या 6333 बताई गई है। गंधर्व देवताओं के लिए सोमरस की प्रस्तुत किया करते थे। गंधर्व सूर्याग्नि का प्रतीक भी माना गया है।
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दोस्तों चलिए आज हम आपके इस आर्टिकल में बताएंगे कि गंधर्व कौन है यदि आपको नहीं पता तो आपके साथ आर्टिकल को जरूर पढ़ें।गंधर्वों को देवताओं का साथी माना गया है। गंधर्व विवाह, गंधर्व वेद और गंधर्व संगीत के बारे में आपने सुना ही होगा। एक राजा गंधर्वसेन भी हुए हैं जो विक्रमादित्य के पिता थे। गंधर्व नाम से देश में कई गांव भी हैं। गांधार और गंधर्वपुरी के बारे में भी आपने सुना ही होगा। आओ जानते हैं कि ये गंधर्व कौन और गंधर्व साधना क्या है।
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गंधर्व स्वर्ग में रहने वाले देवता हैं। तथा यह अप्सराओं के पति हैं, यह स्वर्ग लोक के देवताओं के गायक हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार यह मनुष्य और देवताओं के बीच संदेश वाहक होते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार यह ब्रह्मा जी के पुत्र थे क्योंकि मां सरस्वती का पाठ करते हुए जन्मे थे। इसलिए उनका नाम गंधर्व पड़ा। कहा जाता है धर्म ग्रंथो के अनुसार ऋषि कश्यप की पत्नी अरिष्ठा से गंधर्वों का जन्म हुआ। गंधर्वों का राजा चित्ररथ और उनकी पत्नी अप्सराय थी। कहा जाता है कि गंधर्व नाम से एक अकेले देवता थे, जो स्वर्ग लोक के रहस्य तथा अन्य सत्यो का उद्घाटन करते थे। गंधर्व देवताओं के लिए सोम रस प्रस्तुत करते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार गंधर्व का एक और मतलब निकल गया है गंधर्व विवाह,हिंदू धर्म में विवाह दो आत्माओं का धर्म है। हमारे पौराणिक धर्म ग्रंथो में 8 तरह के विवाह बताए गए हैं। इनमें से एक है गंधर्व विवाह जिसे वर्तमान में प्रेम विवाह कहते हैं। गंधर्व हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है।
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