14 फरवरी 2024 को, दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर किसानों का हुजूम उमड़ा। 'दिल्ली चलो' मार्च के तहत, देशभर से किसान अपनी मांगों को लेकर राजधानी की ओर कूच कर रहे हैं। यह आंदोलन 2020 में हुए किसान आंदोलन की अगली कड़ी है, जो 378 दिनों तक चला और कृषि कानूनों को रद्द करवाने में सफल रहा था।
आंदोलन के पीछे क्या कारण हैं?
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून: किसानों की मुख्य मांग MSP पर कानून बनाने की है। वे चाहते हैं कि सरकार गारंटी दे कि सभी फसलों को MSP पर खरीदा जाएगा।
- किसानों की आय दोगुनी करना: 2016 में, मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। किसानों का कहना है कि यह वादा पूरा नहीं हुआ है।
- कृषि कर्ज माफी: देशभर के किसान कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। वे कृषि कर्ज की माफी की मांग कर रहे हैं।
- बिजली बिलों में कटौती: किसानों का कहना है कि बिजली बिल बहुत ज्यादा हैं, और सरकार को इनमें कटौती करनी चाहिए।
- डीजल की कीमतों में कमी: डीजल की बढ़ती कीमतों ने किसानों को मुश्किलों में डाल दिया है। वे डीजल की कीमतों में कमी की मांग कर रहे हैं।
आंदोलन का प्रभाव:
- राजनीति: 'दिल्ली चलो' मार्च का राजनीतिक परिदृश्य पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, और इसका 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी असर पड़ सकता है।
- अर्थव्यवस्था: आंदोलन का देश की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा। कृषि क्षेत्र में गतिरोध से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- सामाजिक: आंदोलन का समाज पर भी प्रभाव पड़ेगा। यह लोगों को कृषि क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जागरूक करेगा।
आगे क्या होगा?
यह कहना मुश्किल है कि आंदोलन का क्या परिणाम होगा। सरकार किसानों की मांगों को मानने के लिए तैयार होगी या नहीं, यह अभी देखा जाना बाकी है। आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो, यही उम्मीद है।
निष्कर्ष:
किसान दिल्ली मार्च 2024, देश के किसानों की ज्वलंत मांगों का प्रतिबिंब है। सरकार को किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
