कैबिनेट मिशन भारत क्यों आया था:-
दोस्तों जैसा आप सब जानते हैं की 1947 से पहले देश में ब्रिटिश सरकार का राज था एवं देश की सत्ता का बागडोर भी ब्रिटिश सरकार ही संभालती थी लेकिन आजादी के ठीक पहले मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन को अंग्रेजों द्वारा भारत भेजा गया था। उस समय भारतीय कांग्रेस दल और मुस्लिम लीग में बंटवारे को लेकर बहस छिड़ी हुई थी। मुस्लिम लीग अपनी एक अलग देश पाकिस्तान की मांग कर रही थी।
ऐतिहासिक सूत्रों के मुताबिक दूसरे विश्व युद्ध के समाप्ति के बाद जब ब्रिटेन में क्लाइमेट इटली के नेतृत्व में लेबर पार्टी की नई सरकार बनी तब उन्होंने भारत के लोगों को एकजुट रखने और सभी स्थायी समस्याओं के समाधान करने के लिए एक तीन सदस्य संसदीय समिति का गठन किया और इसे भारत भेजा। इस संसदीय समिति में तीन सदस्य शामिल थे।

जिनमे भारत सचिव लॉर्ड पैथिक, व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष सर स्टेफोर्ड क्रिप्स और सैन्य सदस्य ए. वी अलेक्जेंडर का नाम सामने आता है। सूत्रों के मुताबिक पैथिक लॉरेंस को ही इस संसदीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। इस तीन सदस्य संसदीय समिति को ही कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है।
कैबिनेट मिशन के भारत आने की मुख्य वजह थी कि कैबिनेट मिशन भारत के संविधान निर्माण करने के तरीके पर सुझाव रखना चाहता था। यह एक ऐसी संसद की स्थापना करना चाहता था जिससे भारत के लगभग सभी बड़े दलों का समर्थन प्राप्त हो एवं भारत के सभी राजनीतिक पार्टियों और देसी रियासतों के साथ बातचीत करके एक सहमति तैयार करके एक संविधान सभा का गठन करना भी कैबिनेट मिशन का उद्देश्य था।
इसके अलावा यह भारतीय नेताओं और ब्रिटिश सरकार के बीच एक अंतरिम सरकार का गठन करना चाहता था जो स्वतंत्रता के पश्चात देश की प्रशासन व्यवस्था को संभाल सके। सरल शब्दों में कहे तो कैबिनेट मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के लिए एक योजना तैयार करना तथा ठीक ढंग से विचार विमर्श करके एक ऐसा संविधान निर्माण करना था जो पूरे देश के हित में हो और स्वतंत्रता के पश्चात देश की सत्ता सही सरकार के हाथ में जा सके एवं भविष्य में देश चलाने में एवं कानून व्यवस्था के लिए आम जनता या राजनीतिक पार्टियों को संघर्ष न करना पड़े।
कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव एवं परिणामः-
कैबिनेट मिशन ने कई सारे प्रस्ताव रखें एवं कहा की भारत के प्रत्येक प्रांत को संविधान सभा में प्रतिनिधि भेजने होंगे एवं यह प्रतिनिधि उसे प्रांत के जनसंख्या के अनुपात पर निर्भर करेगा। यानी कि प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि को संविधान सभा में भेजना प्रत्येक प्रांत के लिए अनिवार्य होगा। इसके अलावा संविधान सभा में कुल कितने सदस्य होंगे एवं कितने ब्रिटिश भारतीय प्रांत से निर्वाचित होंगे यह सब भी कैबिनेट मिशन में बताया गया। इसके अलावा कैबिनेट मिशन ने मुस्लिम लीग की मांग जो की एक देश का बंटवारा यानी कि पाकिस्तान देश का निर्माण करना था उसे भी अस्वीकार कर दिया था क्योंकि कैबिनेट मिशन के सदस्यों का मानना था कि अगर भारत विभाजन करके पाकिस्तान देश का निर्माण किया गया तो एक बहुत बड़ी गैर मुस्लिम जनसंख्या पाकिस्तान चली जाएगी और एक बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में रह जाएगी तो फिर सांप्रदायिक मुद्दे हल नहीं हो पाएंगे। इसलिए उन्होंने बंटवारे की मांग को खारिज किया। फिर भी मोहम्मद अली जिन्ना के जिद्द के कारण बटवारा हुआ।

कैबिनेट मिशन के परिणाम स्वरुप ही जब 1946 में संविधान सभा के गठन के लिए विधान मंडलों में निर्वाचन हुआ एवं कांग्रेस को 296 में से 208 सीटों पर जीत मिली तो मुस्लिम लीग यह जीत बर्दाश्त नहीं कर पाई एवं 16 अगस्त 1946 को जवाहरलाल नेहरू को अंतरिम सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने पर मुस्लिम लीग ने प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस शुरू कर दिया था।
जिसके आधार पर पूरे भारत में सांप्रदायिक दंगों की आग लग गई और बड़ी संख्या में हिंदू, मुसलमान तथा अन्य जाति के लोग मारे गए। यही कारण है कि मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने अपने लेख में 16 अगस्त को भारत के लिए "काला दिवस" घोषित किया था।


