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अमन कुमार

Working (West Delhi Cricket academy) | Posted on | News-Current-Topics


मायावती और योगी आदित्यनाथ पर चुनाव के प्रचार को लेकर चुनाव आयोग ने पाबंदी क्यों लगायी ?


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भारत में भी लोकतंत्र का पर्व चल रहा है और इस लोकतंत्र के पर्व में लोग अपने देश का प्रधानमंत्री चुनेंगे। हर पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी कमर कस ली है और वह कहीं भी कोई कसर कतई छोड़ना नहीं चाहती है । हर पार्टी ने लोकसभा सीटों के लिए अपने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं और हर पार्टी किसी भी तरह जनता का वोट लेना चाहती है इसीलिए वह किसीकिसीको तैयार है। नेता जनता को जात पात धर्म इन सब मुद्दों पर भटका कर उनसे वोट लेना चाह रहे हैं इसीलिए चुनाव के माहौल मेंहै जिन्होंने भड़काऊ भाषण दे देते हैं जिससे ज्यालगा दिया ज्यादा जनता उन्हें वोट दें।
ऐसा हीीी कुछ उत्तर प्रदेश में देखने को मिला जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगीीीी आदित्यनाथ जी एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि वह अलीी को को मानते हैं हम हम बजरंगबली को मानते हैं। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश कीी पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जीने कहा दलितों मुसलमानोंं से अपने फेेेेेवर में वोट करने की अपील की और उन्हें जात पात में बांट कर उनसे वोट लेनाा चाहती थी। जो किि चुनावों बिल्कुल गलत है और यह आचार संहिता का उल्लंघन है जिस ने चुनाव आयोग केे खिलाफ कार्रवाई कार्य कर सकता है ‌। चुनाव आयोग ने इन दोनों केेे खिलाफ एक्शन लिया और भी उत्तर प्रदेश केेेेेे कई नेता जिन्होंने भड़काऊ बयान दिए तो चुनाव आयोोग में कार्रवाई की इसीलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीरी योगी आदित्यनाथ जी पर 72 घंटे तक चुनाााााव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया। और वहीं मायावती जी पर 48 घंटे का चुनावी सभाा करने पर प्रतिबंध लगा दिया जिससे इन दोनों नेताओं को काफी सभा निरस्त हो गई।


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भारतीय निर्वाचन आयोग ने शिकायत मिलने पर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ एवं पूर्व सीएम मायावती पर बड़ी कार्रवाई कर दी है। इन दोनों नेताओं पर भड़काऊ एवं आपत्तिजनक भाषण देने की शिकायत हुई थी। इन दोनों नेताओं पर धर्म के आधार पर वोट मांगने का आरोप लगा था।


निर्वाचन आयोग ने मायावती को 48 घण्टे और योगी को 72 घण्टे तक चुनाव प्रचार से दूर रहने का फरमान जारी किया है। इन दोनों नेताओं पर यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में की गई है। दोनों नेताओं पर चुनाव आयोग का यह प्रतिबंध 16 अप्रैल से लागू होगा। इस दौरान ये दोनों न तो किसी सार्वजनिक सभा को संबोधित कर पाएंगे, न किसी को इंटरव्यू दे पाएंगे और न अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से किसी भी प्रकार का कोई ट्वीट कर सकेंगे।


अब इस फैसले के बाद मायावती 16 और 17 अप्रैल जबकि योगी आदित्यनाथ 16, 17, 18 अप्रैल को चुनाव प्रचार की हर गतिविधियों से दूर रहेंगे।


मालूम हो कि योगी आदित्यनाथ के अली और बजरंगबली वाले बयान को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। इसके साथ ही मायावती की मुसलमानों से वोट बांटने की बजाय एक जगह देने की अपील से भी सुप्रीम कोर्ट काफी नाराज हुआ है। यही वजह है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने इसे गंभीरता से लिया है।


सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले पर निर्वाचन आयोग से यह पूछा कि इन आपत्तिजनक बयानों पर आप क्या कार्रवाई कर रहे हैं तो इस पर निर्वाचन आयोग ने अपने सीमित अधिकारों का हवाला दिया। इस फैसले की वजह से दोनों नेताओं की करीब डेढ़ दर्जन सभाएं रद्द होने का अनुमान है।Letsdiskuss



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