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आजादी की लड़ाई में हम सभी बापू के योगदान को कभी नही भूल सकते । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस तरह से बिना हथियार उठाए अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए शायद ही इसे कोई भूल पाया होगा । लेकिन आजादी के लिए बापू के द्वारा किए गए त्याग के बारे में शायद ही किसी को पता हो । हम सभी बापू को जब फोटो में देखते है तो वह बिना कपड़ों के केवल एक धोती लपेटे हुए दिखाई पड़ते है । आखिर ऐसा क्या हुआ जो बापू ने कपड़ा पहनना छोड़ दिया ।
बताया जाता है कि बापू जब अपनी पढ़ाई पूरी करके विदेश से हिंदुस्तान आए तो उस समय अंग्रेज लगातार भारतीयों के ऊपर जुल्म कर रहे थे । बापू ने उसी समय इस जुल्म को रोकने के लिए बिहार के चंपारण से एक आन्दोलन की शुरुआत की । जिसमें बापू ने किसानों को इकट्ठा होने के लिए कहा । जब वह किसान इकट्ठा हुए तो बापू ने देखा कि वही अकेले सूट बूट पहने हुए है । बाकी किसान केवल एक कपड़े में और थे और नीचे जूता भी नहीं पहन रखा था । उसी समय बापू ने किसानों से बूट न पहनने का कारण पूछा तो किसानों ने बताया कि हम सभी नीच जाति के लोग है और अगर हम बूट पहन लेंगे तो अंग्रेज हमारे ऊपर और जुल्म करेंगे । इसीलिए हम सभी बूट नहीं पहनते । बापू किसानों की बात सुनकर चौक गए और उसी समय उन्होंने भी फैसला किया कि अब आज से वह भी बूट नहीं पहनेंगे ।
बापू के कपड़े छोड़ने के बारे में कहा जाता है कि एक बार बापू की पत्नी कस्तूरबा गांधी खेत में काम कर रही थी , उनके बगल के खेत में भी एक औरत काम कर रही थी। तभी कस्तूरबा की निगाह उस औरत की साड़ी पर पड़ी जो बिल्कुल गंदी और फट चुकी थी । कस्तूरबा तुरंत उस औरत के पास गई और एक ही साड़ी हर रोज पहनने का कारण पूछ तो उस औरत ने जवाब दिया की उसके घर की स्थिति सही नहीं है । और उसके पास दूसरी साड़ी भी नही है जिससे वह बदल सके । यह बात कस्तूरबा को दिल में लग गई उन्होंने यह बात महत्मा गांधी को बताया और बापू ने तुरंत अपनी धोती निकली और उस औरत को देने को कहा । बापू ने उसी समय यह ठान लिया की अब वह भी जब तक हिंदुस्तान को आजाद नही करवा लेते कभी चोंगा नही पहनेंगे । इसके बाद कुछ साल गांधी जी कपड़े और अभिव्यक्ति को लेकर प्रयोग करते रहे।
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