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न्यायाधीश जिस टोपी को पहनते हैं उसे पेरुक कहते हैं। और इस टोपी से लंबे समय तक दुनिया भर में न्यायाधीशों की पहचान की जा सकती है पेरुक न्यायाधीशों की यूनिफार्म का हिस्सा थी। इससे 17 वी शताब्दी तक ज्यादातर न्यायधीश छोटे बाल और दाढ़ी रखते थे किंग चार्ल्स सेकंड ने फारुख पहनने की परंपरा को शुरू किया था। क़ी सफेद बाल वाली टोपी न्यायधीश को इसलिए पहनाई जाती थी कि सफेद रंग हमारे सच्चाई का प्रतीक होता हैऔर ऐसा माना जाता है कि सिफीलिस को एक ऐसी बीमारी हो गई थी ! जिसके कारण उनके सारे बाल झड़ गए थे! सिफीलिस ने अपने बाल ना होने के कारण एक विशेष तरह की विग बनवाई। यह एक अलग ही विग थी। जिसे पेरुक के नाम से जाना जाता था.।
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यह परंपरा 17वीं शताब्दी किंग चार्ल्स सेकंड द्वारा चालू किया गया है! जिसमें सभी न्यायाधीशों को सफेद बाल वाली टोपी पहनने की परंपरा चालू हो गई। ऐसा माना जाता है कि सिफीलिस को एक ऐसी बीमारी हो गई थी ! जिसके कारण उनके सारे बाल झड़ गए थे! सिफीलिस ने अपने बाल ना होने के कारण एक विशेष तरह की विग बनवाई। यह एक अलग ही विग थी। क्योंकि, इसको किंग चार्ल्स ने पहना था और इसी के कारण इस विग को सभी लोग जानने लगे! इसको पेरुके नाम से भी जाना जाता है और यह सभी न्यायाधीश की यूनिफॉर्म में पहने जाने लगी ।
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न्यायधीश अपने बालों पर सफेद बालों की टोपी इसलिए पहनते हैं क्योंकि उन्हें सच और झूठ का न्याय करना होता है और सफेद रंग सच्चाई का प्रतीक होता है। यह नियम 17 वी शताब्दी से चला आ रहा है यह नियम किंग चार्ल्स सेकंड के द्वारा लागू किया गया था। ऐसा माना जाता है कि सिफलिस को एक बीमारी हो गई थी जिसके कारण उनके सारे बाल झड़ गए थे जिसके कारण से सिफीलिस ने एक विशेष तरह के बिग बनाई यह एक अलग ही बिग थी क्योंकि इसको किंग चार्ल्स ने पहना था सफेद टोपी को पेरुक के नाम से भी जाना जाता है और यह न्यायाधीशों का यूनिफार्म होता है।
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