पौराणिक कथा के अनुसार एक समय राजा था जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उनके यहाँ बेटे का जन्म हुआ |
जब उसकी कुंडली बनवाई गयी तो मालुम चला की जब भी उसका विवाह होगा उसके चार दिन उसकी मृत्यु हो जाएगी |
इस बात से राजा चिंता में पद गए और उसे ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े।
एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
उसके बाद विधि के लिखे अनुसार चार दिन बाद राजा के बेटे की मौत हो उसकी नवविवाहिता पत्नी विलाप करने लगी जिसे सुन कर यमदूत परेशान हो गए तब उन्होनें यमराज के पास जा कर कहा कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए।
तब यम देवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसी वजह कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।