काल भैरव (kaal bhairav) महाकाल भगवान शिव का रौद्र रूप यानी (पाचंवा अवतार ) माना जाता है | पौराणिक कथाओं और आस्था के अनुसार जो भी व्यक्ति काल भैरव जयंती के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करता है उसे सिद्धियों की प्राप्ति होती है | उस व्यक्ति के आस - पास कभी कोई दुःख नहीं आता है | काल भैरव का जन्म आधी रात को हुआ था इसलिए उनकी पूजा भी आधी रात को की जाती है | ऐसे में कई लोग इस बात को नहीं जानते की पूजा के दौरान मनवांछित फल की प्राप्ति तब होती है जब व्यक्ति विधि विधान के साथ काल भैरव कवच पाठ करें | आइए आपको काल भैरव कवच पाठ के बारें में बतातें हैं |
काल भैरव कवच पाठ
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।
पातु मां बहुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु।।
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः।।
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेशवरः।।
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः।।
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः।।
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च।।
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः।।
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरव।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा।।
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।