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काल भैरव जयंती भगवान शिव के भक्तों के लिए एक शुभ और महत्वपूर्ण दिन है। हर साल मार्गशीर्ष (हिंदू कैलेंडर में कार्तिक के बाद का महीना) कृष्ण पक्ष, काल भैरव जयंती मनाई जाती है। काल भैरव, विनाश से जुड़े शिव का एक उग्र रूप। काल भैरव जयंती को काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। लोग साहस और खुशी के लिए काल भैरव की पूजा करते हैं। काल भैरवी को भगवान शिव का रूप माना जाता है जो सरल प्रसाद से आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। चूंकि काल भैरव कुत्ते पर विराजमान हैं, इसलिए भक्त आवारा कुत्तों को भी खाना खिलाते हैं। काल भैरव के भक्त विशेष रूप से शनिवार को उनका आशीर्वाद लेने के लिए हलवा पुरी को प्रसाद के रूप में बनाते हैं।
भारत में प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर
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काल भैरव (kaal bhairav) महाकाल भगवान शिव का रौद्र रूप यानी (पाचंवा अवतार ) माना जाता है | पौराणिक कथाओं और आस्था के अनुसार जो भी व्यक्ति काल भैरव जयंती के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करता है उसे सिद्धियों की प्राप्ति होती है | उस व्यक्ति के आस - पास कभी कोई दुःख नहीं आता है | काल भैरव का जन्म आधी रात को हुआ था इसलिए उनकी पूजा भी आधी रात को की जाती है | ऐसे में कई लोग इस बात को नहीं जानते की पूजा के दौरान मनवांछित फल की प्राप्ति तब होती है जब व्यक्ति विधि विधान के साथ काल भैरव कवच पाठ करें | आइए आपको काल भैरव कवच पाठ के बारें में बतातें हैं |
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काल भैरव की पूजा या काल भैरव कवच का पाठ कालाष्टमी या काल भैरव जयंती के दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से व्यक्ति की मनचाही सिद्धियां प्राप्त हो जाती है।
काल भैरव जयंती के दिन काल भैरव का पाठ करने के साथ -साथ पापड़, पूड़ी,पौकोड़े बनाकर काल भैरव क़ो भोग लगाने से काल भैरव आप पर प्रसन्न होंगे और उनका आशीर्वाद आप पर सैदव बना रहेगा।
कालाष्टमी के दिन काल भैरव मंदिर जाकर उनकी आरती करनी चाहिए तथा साथ ही पीले रंग के वस्त्र काल भैरव क़ो अर्पित करे।
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