काल भैरव कवच (Bhairav kavach ) पाठ क्यों करना चाहियें ? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog

Ruchika Dutta

Teacher | Posted on | astrology


काल भैरव कवच (Bhairav kavach ) पाठ क्यों करना चाहियें ?


4
0




student | Posted on


काल भैरव जयंती भगवान शिव के भक्तों के लिए एक शुभ और महत्वपूर्ण दिन है। हर साल मार्गशीर्ष (हिंदू कैलेंडर में कार्तिक के बाद का महीना) कृष्ण पक्ष, काल भैरव जयंती मनाई जाती है। काल भैरव, विनाश से जुड़े शिव का एक उग्र रूप। काल भैरव जयंती को काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। लोग साहस और खुशी के लिए काल भैरव की पूजा करते हैं। काल भैरवी को भगवान शिव का रूप माना जाता है जो सरल प्रसाद से आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। चूंकि काल भैरव कुत्ते पर विराजमान हैं, इसलिए भक्त आवारा कुत्तों को भी खाना खिलाते हैं। काल भैरव के भक्त विशेष रूप से शनिवार को उनका आशीर्वाद लेने के लिए हलवा पुरी को प्रसाद के रूप में बनाते हैं।

भारत में प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर

  • काल भैरव मंदिर आमतौर पर देश में शक्तिपीठों, ज्योतिर्लिंग मंदिरों के आसपास पाए जाते हैं।
  • शिप्रा नदी के तट पर उज्जैन का काल भैरव मंदिर अद्वितीय है। भक्तों को देवता को शराब चढ़ाने के लिए जाना जाता है।
  • वाराणसी में काल भैरव मंदिर को वाराणसी का कोतवाल माना जाता है, जो मंदिरों के शहर के दर्शनीय स्थलों में से एक है।
  • कालभैरवेश्वर कर्नाटक का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे आदिचुंचनागिरी पहाड़ियों में कालभैरवेश्वर क्षेत्र पालका के नाम से जाना जाता है।
  • ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में अजिकापाड़ा भैरव मंदिर ओडिशा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है
  • तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में कालभैरवर मंदिर काल भैरव के एक रूप को समर्पित है।
  • राजस्थान के झुंझुनू जिले में चोमुख भैरवजी मंदिर शैवों के लिए लोकप्रिय स्थानों में से एक है।
  • मध्य प्रदेश के अडेगांव में श्री कला भैरव नाथ स्वामी मंदिर एक पवित्र स्थल है जहां देश भर से श्रद्धालु और नेपाल सहित पड़ोसी आते हैं।

Letsdiskuss


2
0

Blogger | Posted on


काल भैरव (kaal bhairav) महाकाल भगवान शिव का रौद्र रूप यानी (पाचंवा अवतार ) माना जाता है | पौराणिक कथाओं और आस्था के अनुसार जो भी व्यक्ति काल भैरव जयंती के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करता है उसे सिद्धियों की प्राप्ति होती है | उस व्यक्ति के आस - पास कभी कोई दुःख नहीं आता है | काल भैरव का जन्म आधी रात को हुआ था इसलिए उनकी पूजा भी आधी रात को की जाती है | ऐसे में कई लोग इस बात को नहीं जानते की पूजा के दौरान मनवांछित फल की प्राप्ति तब होती है जब व्यक्ति विधि विधान के साथ काल भैरव कवच पाठ करें | आइए आपको काल भैरव कवच पाठ के बारें में बतातें हैं |

काल भैरव कवच पाठ
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।
पातु मां बहुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु।।
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः।।
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेशवरः।।
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः।।
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः।।
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च।।
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः।।
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरव।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा।।
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।
Letsdiskuss


2
0

Occupation | Posted on


काल भैरव की पूजा या काल भैरव कवच का पाठ कालाष्टमी या काल भैरव जयंती के दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से व्यक्ति की मनचाही सिद्धियां प्राप्त हो जाती है।


काल भैरव जयंती के दिन काल भैरव का पाठ करने के साथ -साथ पापड़, पूड़ी,पौकोड़े बनाकर काल भैरव क़ो भोग लगाने से काल भैरव आप पर प्रसन्न होंगे और उनका आशीर्वाद आप पर सैदव बना रहेगा।


कालाष्टमी के दिन काल भैरव मंदिर जाकर उनकी आरती करनी चाहिए तथा साथ ही पीले रंग के वस्त्र काल भैरव क़ो अर्पित करे।

Letsdiskuss


2
0