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प्रश्न है कि भंडारा क्यों नहीं खाना चाहिए. जब किसी पूजा-पाठ या आध्यात्मिक कार्यक्रम के बाद भोजन सभी लोग बैठकर करते हैं तो उसे भंडारा कहते हैं. अमीर गरीब हर जाति के लोग भंडारे में शामिल होते हैं और इससे भाईचारा और सामाजिकता का विकास में होता है इसलिए आयोजन होने वाले भंडारे में सभी लोगों के साथ थोड़ा बहुत भोजन ग्रहण करना चाहिए. ईश्वर के प्रति श्रद्धा होती है। भंडारा अक्सर कोई व्यक्ति करवाता है या चंदा इकट्ठा करके करवाया जाता है इसलिए भंडारे में कुछ दान पुण्य करना चाहिए ताकि इस तरह के भंडारे का आयोजन आसानी से सभी लोगों के सहयोग से होता रहे। भंडारा एक सामाजिक कार्यक्रम है और उसमें अपनी भागीदारी जरूर निभानी चाहिए और सब के साथ बैठकर भोजन भी ग्रहण करना चाहिए.
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बहुत से लोग भंडारा अपने पाप को कम करने के लिए भंडारा करवाते है।लेकिन वही कुछ लोगो का मानना होता है कि भंडारा नहीं खाना चाहिए क्योंकि जो लोग अपने पाप कम करने लिए भंडारा करते है, जो व्यक्ति वह भंडारा खाता है उनके ऊपर वह पाप आ जाता है, लेकिन ये बात बिल्कुल सच नहीं है यदि मन निर्मल है तो सब कुछ निर्मल होता है।
भंडारा का प्रसाद भगवान प्रसाद होता है, उनका प्रसाद खाने से भगवान अति पसंद होते है, सभी धर्मों मे अन्नदान सबसे बड़ा महादान होता है।
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