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मैहर माता के मंदिर का रहस्य क्या है ?


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मैहर वाली माता का नाम बड़ा ही प्रसिद्द है | मैहर मध्य प्रदेश में आता है | मैहर 51 शक्तिपीठों में से एक है | 51 शक्तिपीठ क्या है, इसके बारे में भी आपको बताते हैं | जब माता सती अपने पिता के घर महायज्ञ के समय बिना बुलाए पहुँच गई और अपने पिता के द्वारा भगवान शिव की बुराई को सहन नहीं कर पाई तो उन्होंने आत्मदाह कर लिया और वो अग्नि में जलकर सती हो गई |
भगवान शिव ने माता सती के शव को उठाया और पूरे ब्रह्माण्ड में चक्कर लगाने लगे | इस तरह सभी देवी देवता परेशान हो गए और उनकी चिंता का कारण यह था कि इसी तरह अगर चलता रहा तो धरती का सञ्चालन सही तरीके से नहीं हो पाएगा | इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव के टुकड़े करना शुरू कर दिया |
माता सती के अंग जहाँ-जहाँ गिरे वहां-वहां उनके मंदिर बन गए | माता सती के अंग के कुल 51 टुकड़े हुए जिनको 51 शक्तिपीठ कहा जाता है | उनमें एक मैहर है | कहा जाता है, यहाँ माता का गले का हार गिरा था इसलिए इसको मैहर नाम दिया गया |
यहाँ की एक मान्यता है कि माता के मंदिर में हर रोज सुबह आल्हा पूजा करने आते हैं | आज ही सबसे पहले पूजा वही करते हैं | यहाँ रात को रुकना मना है | यह बहुत ही प्रसिद्द मंदिर है, और बहुत ही चमत्कारी भी | यहाँ सभी की मनोकामना पूरी होती है |
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लोग अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और कई अन्य चीजों की प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां माना जाता है कि मंदिर में रहने पर भी लोगों की मौत हो जाती है? बिल्कुल विपरीत लगता है, है ना?


यह कहानी है मैहर देवी मंदिर नाम के एक मंदिर की, जहां यह दावा किया जाता है कि रात भर इस मंदिर में रहने पर लोगों की जान चली जाती है! तो, आप सभी जिज्ञासु आत्माएं, इस मंदिर के तथ्यों और लोगों के विश्वास के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।

मंदिर के बारे में सब कुछ भारत में यह प्रसिद्ध मंदिर भोपाल में सतना जिले के पास मैहर के पहाड़ों पर स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर देवी 'शारदा' का है। मंदिर के नाम 'मैहर' का अर्थ है 'माँ का हार', जिसका दूसरे शब्दों में अर्थ है देवी की माला। यह एक पर्वत में स्थित है यह प्रसिद्ध मंदिर 'त्रिकूट' पर्वत के मध्य में स्थित है। यह दावा किया जाता है कि हर साल हजारों भक्त देवी शारदा के इस मंदिर में आते हैं, इस तथ्य को जानने के बावजूद कि मंदिर के पीछे एक भूतिया इतिहास है ...

मंदिर के बारे में विश्वास... यह दावा किया जाता है कि इस मंदिर के बारे में कई प्राचीन कहानियां हैं। बहुत से लोग इन मान्यताओं को सच होने का दावा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रात में कोई भी मंदिर में नहीं रह सकता है। यदि वे करते हैं, तो व्यक्ति के मरने की भी संभावना है।

विश्वास के पीछे का कारण... इस विश्वास के पीछे का कारण दो अमर आत्माओं के अस्तित्व का दावा किया जाता है, अर्थात् आल्हा और उदम, जिन्हें देवी शारदा का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। माना जाता है कि इन दो अमर आत्माओं ने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। यह भी माना जाता है कि इन दोनों लोगों ने सबसे पहले इस 'मैहर देवी' मंदिर को पहाड़ों पर खोजा था।

रात में मंदिर बंद कर दिया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये दोनों भाई रात में मंदिर जाते हैं और वे देवी को तैयार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि रात के समय किसी को भी मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं है। और अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे अपनी जान गंवानी पड़ेगी!

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भारत देश में ऐसे कई रहस्य है, जिनके बारें में जानना या जिनके बारें में पढ़ना लोगों को बहुत पसंद आता है | आज हम आपको मैहर माता के मंदिर के बारें में कुछ विशेष जानकारी देंगे |

मैहर वाली माता :-
मैहर वाली माता का मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक छोटा सा नगर मैहर है, जहां माता का एक मंदिर है | एक मान्यता के अनुसार जब देवी सती ने खुद को अग्नि में प्रवाहित किया तो भगवान शिव जी ने उनके शरीर को अपने कंधे पर उठाकर पूरी पृथ्वी का भ्रमण किया | तब पृथ्वी को विनाश से बचने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के एक-एक कर के अंग काट दिए | मैहर में माता सती का हार गिर गया तब से उस मंदिर को मैहर माता का नाम दिया गया |
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मंदिर की खोज :-
मैहर में रहने वाले लोगों के अनुसार बुन्देलखण्ड के महोबा के वीर योद्धा आल्हा और उदल ने राजा पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्घ किया और इस दौरान मंदिर की खोज हुई | मान्यता है कि आल्हा ने मैहर मंदिर में 12 साल तक कठिन तपस्या की | जिससे माता प्रसन्न हुई और उस मंदिर में विराजमान हुई | मैहर में शारदा माता का मंदिर है |
मंदिर का रहस्य :-
माता का हार गिरने पर इस मंदिर को मैहर नाम दिया गया | मैहर वाली माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा को कहा जाता है | इस मंदिर की मान्यता है, कि यहाँ आज भी आल्हा माता शारदा की पूजा सुबह सबसे पहले करते हैं | माता का पहला श्रृंगार आज भी आल्हा के द्वारा ही किया जाता है | जब ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:24 मिनट से 5:12 मिनट के बीच) में माता शारदा के मंदिर का द्वार खोला जाता है तब उनका शृंगार और उनकी पूजा होती है |
1063 सीढ़ियां चढ़ कर भक्त उनके दर्शन के लिए जाते हैं | यह मंदिर जितना मान्यता से भरा है, उतना ही रहस्य से | रात्रि के समय इस मंदिर में कोई नहीं रुकता |
maa


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मैहर वाली माता का नाम बहुत ही प्रसिद्ध है मैहर वाली माता का मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है एक छोटा सा नगर मैहर है जहां माता का एक मंदिर है जहां पर लोग रात में रुक जाते हैं तो और उनकी मृत्यु हो जाती है मतलब होता है मां का हार कहा जाता है कि माता सती का हार यहां पर गिरा था इसकी गणना शक्तिपीठ में की जाती है मां शारदा के दर्शन होते करने के लिए 1063 सीढ़ियों पर चढ़कर जाने पर माता शारदा के दर्शन होते हैं। तब पृथ्वी को विनाश से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के एक एक कर के अंग काट दिया। मैहर में माता सती का हार गिर गया तब से उस मंदिर मैहर माता का नाम दिया गया।

माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा रोज सुबह जब मंदिर के पट बंद रहते हैं तो उनकी पूजा करने आते हैं और मां का श्रंगार करके चले जाते हैं इस प्रकार मां शारदा के कई रहस्यमई बातें हैं जिसे सुलझाना बहुत ही कठिन है।

मैहर में रहने वाले लोगों के अनुसार बुंदेलखंड के महोबा के वीर योद्धा आल्हा ऊदल ने राजा पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया और इस दौरान मंदिर की खोज हुई मान्यता है कि आल्हा ने मैहर मंदिर में 12 साल तक कठिन तपस्या की।Letsdiskuss


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दोस्तों आप सभी ने मैहर वाली मां शारदा के मंदिर के बारे में सुना ही होगा लेकिन आज इस पोस्ट में हम मैहर वाली शारदा माता के मंदिर का रहस्य बताएंगे। ऐसा कहा जाता है कि जब मंदिर के पुजारी और सब भक्त नीचे होते हैं तो पट बंद होने के बाद वहां माता की पूजा करने के लिए आल्हा आते हैं और यह सब अदृश्य रूप से होता है मैहर वाली मां शारदा का मंदिर त्रिकूट पर्वत में है ऐसा कहा जाता है कि यहां माता सती का हार गिरा था। माता सती के 51 पीठों में से यह एक है ।

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क्या आपने कभी ऐसी बात सुनी है की मंदिर में रात भर रहने पर लोगों की मौत हो जाती है जी हां यह बात बिल्कुल सही है क्योंकि मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर में मां शारदा की एक ऐसी मंदिर है जहां पर लोग रात में रुक जाते हैं तो उनकी मृत्यु हो जाती है। मैहर का मतलब होता है मां का हार कहा जाता है कि माता सती का हार यहां पर गिरा था इसकी गणना शक्ति पीठ में की जाती है मां शारदा के दर्शन करने के लिए 1063 सीढ़ियों को चढ़कर जाने पर मां शारदा के दर्शन होते हैं और यह भी कहा जाता है कि माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा रोज सुबह जब मंदिर के पट बंद रहते हैं तो उनकी पूजा करने आते हैं और मां का श्रृंगार करके चले जाते हैं। इस प्रकार मां शारदा के कई रहस्यमई बातें हैं जिसे सुलझाना बहुत ही कठिन है।Letsdiskuss


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मध्य प्रदेश के सतना जिले में त्रिकूट पर्वत पर मैहर माता जी का मंदिर स्थित है। मैहर माता का मंदिर देवी शारदा जी को समर्पित है इस मंदिर की गिनती मां के शक्तिपीठ में होती है। मैहर का अर्थ मां के हार से माना जाता है। मान्यता यह है कि इस जगह पर मां सती का हार गिरा था। जिस कारण इस जगह का नाम मैहर पड़ा। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए 1001 सीढियां चढ़नी पडेगी।

ऐसा माना जाता है कि मैहर माता जी के मंदिर की खोज दो भाइयो आल्हा और ऊदल ने की थी। कहा जाता है कि आल्हा ने यहां पर 12 वर्षो तक की तपस्या की थी। एक और मान्यता यह भी प्रचलित है कि इस मंदिर में सबसे पहले पूजा आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी।

मैहर माता जी के मंदिर के बारें में कई तरह ही कहानियां है जो प्रचलित है। एक कहानी के अनुसार मैहर मंदिर का पट रात को बंद कर देने पर जब सुबह खोला जाता है तो पता चलता है कि माता जी की पूजा पहले से ही कोई करके चला गया है, कहा जाता है ये पूजा करने वाले वीर योद्धा आल्हा और ऊदल है जिनका मैहर माता जी के मंदिर से बहुत गहरा संबंध है क्योकि दोनो देवी शारदा के परम भक्त थे।

इस मंदिर तब पहुंचने के लिए आपको सतना के रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद सीधे मंदिर जाने के लिए ऑटो या रिक्शा मिल जाएगा। स्टेशन और मंदिर के बीच की दूरी मात्र दो किमी है।

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मैहर वाली माता का नाम बहुत ही प्रसिद्ध है मैहर वाली माता का मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित एक छोटा सा नगर मैहर है जहां माता का मंदिर है जहां पर लोग रात में रुक जाते हैं तो और उनकी मृत्यु हो जाती है मतलब होता है मां का हार कहा जाता है। मैहर माता का मंदिर देवी शारदा जी को समर्पित है इस मंदिर की गिनती मां के शक्तिपीठ में होती है। मैहर का अर्थ मां के हार से माना जाता है। मान्यता यह है कि इस जगह पर मां सती का हार गिरा था। जिस कारण इस जगह का नाम मैहर पड़ा। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए 1001 सीढियां चढ़नी पडेगी।

माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा रोज सुबह जब मंदिर के पट बंद रहते हैं तो उनकी पूजा करने आते हैं और मां का श्रंगार करके चले जाते हैं इस प्रकार मां शारदा के कई रहस्यमई बातें हैं जिसे सुलझाना बहुत ही कठिन है। माता सती का हार यहां पर गिरा था इसकी गणना शक्ति पीठ में की जाती है मां शारदा के दर्शन करने के लिए 1063 सीढ़ियों को चढ़कर जाने पर मां शारदा के दर्शन होते हैं और यह भी कहा जाता है कि माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा रोज सुबह जब मंदिर के पट बंद रहते हैं तो उनकी पूजा करने आते हैं और मां का श्रृंगार करके चले जाते हैं।

माता जी की पूजा पहले से ही कोई करके चला गया है, कहा जाता है ये पूजा करने वाले वीर योद्धा आल्हा और ऊदल है जिनका मैहर माता जी के मंदिर से बहुत गहरा संबंध है क्योकि दोनो देवी शारदा के परम भक्त थे। माता के मंदिर में हर रोज सुबह आल्हा पूजा करने आते हैं | आज ही सबसे पहले पूजा वही करते हैं | यहाँ रात को रुकना मना है | यह बहुत ही प्रसिद्द मंदिर है, और बहुत ही चमत्कारी भी | यहाँ सभी की मनोकामना पूरी होती है ।

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बहुत ही बढ़िया प्रश्न किया है आज आपने की मैहर माता के मंदिर का रहस्य क्या है? तो चलिए हम आपको बताते हैं कि मैहर माता के मंदिर का रहस्य क्या है लेकिन इससे पहले जानते हैं कि मैहर का नाम मैहर कैसे पड़ा। शायद आपको इसकी जानकारी नहीं होगी तो कोई बात नहीं हम आपको इसकी जानकारी देंगे। मैहर का अर्थ मां का हार से लिया गया मैहर माता मंदिर एक शक्तिपीठ है। ऐसी मान्यता है कि जब शिव के हाथ में पड़े सती के शव को भगवान विष्णु ने सुदर्शन से काटा तो उनके हिस्से और आभूषण अलग-अलग जगह पर गिरे जो कि आगे चलकर शक्ति पीठ बने मैं आपको बता दूं कि मैहर में माता का हर गिरने से इस जगह का नाम मैहर पड़ा।

आज भी मैहर माता मंदिर के कई सारे रहस्य पड़े हैं जिन्हें लोगों ने आज तक नहीं सुलझा पाया :-

बताया जाता है कि आज भी आल्हा ऊदल अदृश्य रूप में मां शारदा की आरती करने के लिए आते हैं। और जब मंदिर कपाट सुबह खुलता है तो उसे वक्त मां की पूजा हो चुकी होती है। ऐसा बताया जाता है की आल्हा और उदल मां शारदा की परम भक्त थे इन्हीं के द्वारा मां के इस पवित्र स्थल की खोज की गई थी। बताया जाता है कि दोनों भाइयों ने 12 साल तक कठोर तपस्या की इससे मां शारदा आल्हा ऊदल से काफी प्रसन्न होती है। और उन्हें अमृत्व का वरदान दे देती हैं। ऐसे बताया जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इन्हें गलती से देख लेता है तो उस व्यक्ति की मौत वहीं पर हो जाती है। इस वजह से यहां के पंडित जी सुबह 5:00 के बाद ही माता शारदा के पट खोलते हैं। ताकि कोई भक्तजन आल्हा उदल को देख ना पाए और उन्हें कोई हानि न पहुंचे। इस प्रकार मां शारदा की मंदिर बहुत से रहस्याओं से भरी पड़ी है।

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