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अपनी ज़िंदगी की कुछ ऐसी यादें जो आप कभी भूलना नहीं चाहते ?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | Posted on


समय था नोटबंदी का! हर लोगों को नए नोट पाने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा था| क्योंकि पुराने नोट तो केवल एक कागज के टुकड़े के समान हो गए थे| उसी संघर्ष में जो संघर्ष मेरे परिवार ने किया उसकी कुछ घटना मैं आपके साथ सांझा करना चाहता हूं| मेरे पिताजी नोट बदलाने के लिए सुबह ही लाइन में लग जाते थे.परंतु जब नंबर आता था तब पता लगता था कि पैसे खत्म हो गए| दो-तीन दिन तो यह सिलसिला चलता रहा| पिताजी के काम का भी नुकसान हो रहा था.तो मेरे पिता ने मेरे भाई को नए नोट लेने के लिए लाइन में लगने को कहा.

मेरा भाई भी सुबह लाइन में लग जाता था और फिर वही कहानी नंबर आते ही पैसा खत्म हो जाता था| यह सिलसिला तो चलता रहा लेकिन अचानक ही घर में मुसीबत आ गई मेरी मां की तबीयत अचानक बिगड़ गई. मेरे पिता जी मां को लेकर अस्पताल गए | अस्पताल जाकर पता चलता है कि पुराने नोट नहीं चलेंगे आपको नए नोट ही देने पड़ेंगे| आनन फानन में मेरे पिताजी इधर उधर (परिचय) के लोगों से पैसे मांगते हैं. लेकिन पूरा प्रयास व्यर्थ जाता है मैं इस मंजर को देख भी नहीं पा रहा था इस दृश्य को देखकर मन ही मन में मुझे बहुत रोना आ रहा था| और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था| मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि मेरे पिता जी लोगों के पास जाकर पैसे की मांग करें. यह समय नोटबंदी का मैं अपने जीवन में कभी भी नहीं भूलने वाला समय समझता हूं|

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और पढ़े- क्या आपकी ज़िंदगी में कोई ऐसा पल है जिसको याद कर के आपको लगता है कि ऐसा सिर्फ फिल्म में हो सकता है ?


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आज मैं आपसे यहां पर शेयर करना चाहती हूं कि मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल कौन सा था जिसे मैं भूल कर के लिए भूल सकती हूं दरअसल यह बात तब की है जब मैं स्कूल में पढ़ाई करती थी तब वहां पर निशा नाम की एक लड़की थी जो मेरी बेस्ट फ्रेंड थी वह हमेशा मेरा साथ ही दे दी थी चाहे सुख हो या दुख हो लेकिन एक दिन अचानक होता क्या है कि निशा स्कूल से घर को जा रही थी उसी वक्त उसका एक्सीडेंट हो जाता है और उसी स्थान पर उसकी मृत्यु हो जाती है जिसे भूल पाना मेरे बस से बाहर है।

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मै अपनी ज़िन्दगी की कुछ ऐसी यादें है जिसको मै कभी भूलना भी चाहु तो फिर भी नहीं भूल सकती है। ज़ब मै 12वीं कक्षा मे पढ़ती थी और मुझे डेंगू हो गया था और उसी समय मेरे एग्जाम नजदीक थे, दिसम्बर मे मेरी तबियत खराब होने की वजह से मै हॉस्पिटल मे एडमिट थी। जनवरी मे मेरे प्री बोर्ड एग्जाम होने वाले थे,उस समय मेरी पढ़ाई मे मेरी सुमन नाम की फ़्रेंड ने काफ़ी मदद की। सुमन फिजिकस, केमिस्ट्री की कोचिंग करती थी, तो सारी नोट्स मुझे पढ़ने के लिए एग्जाम के समय दे दी,थी।क्योकि मेरी तबियत खराब होने के कारण मै स्कूल और कोचिंग नहीं जा सकती थी,मैने 12वीं कक्षा मे फ़ास्ट डिवीजन से पास किया और स्कूल भर मे सबसे ज्यादा अंक मैंने ही प्राप्त किये थे।इसके लिए मै अपनी दोस्त सुमन का बहुत -बहुत धन्यवाद करती हूँ। सुमन का यह अहसास मै कभी भी अपने जीवन मे नहीं भुल पाऊँगी मुझे जीवन भर याद रहेगा, उसने मेरी मदद की थी।Letsdiskuss


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