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Brij Gupta

Optician | Posted on | Education


शारीरिक शिक्षा का क्या अर्थ है और इसका क्या इस्तेमाल है ?


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Marketing Manager | Posted on


शारीरिक शिक्षा

शरीर से जुड़ी शिक्षा को शारीरिक शिक्षा कहा जाता है. अर्थात वह जानकारी जो हमारे शरीर से संबंधित है. अंग्रेजी में इसे फिजिकल एजुकेशन कहा जाता है. शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत योग,व्यायाम, जिम्नास्टिक आदि चीजों के बारे में पढ़ाया जाता है.

शारीरिक शिक्षा में बच्चों को न केवल स्वस्थ रहना सिखाया जाता है बल्कि शरीर के महत्व से भी उन्हे अवगत कराया जाता है. इसके अलावा हमें अपने शरीर के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।

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दुनिया भर के पाठ्यक्रमों में शारीरिक शिक्षा को शामिल किया जा चुका है. बच्चों के पाठ्यक्रम में यह उतना ही महत्वपूर्ण है जैस गणित , विज्ञान, अंग्रेजी आदि।

क्या है शारीरिक शिक्षा?

हम शारीरिक शिक्षा को एक प्रकार का मनोविज्ञान भी कह सकते है. इसमें बाल मनोविज्ञान को भी उतना ही महत्व दिया गया है जितना एडल्ट मनोविज्ञान को। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के शरीर को ही नहीं बल्कि मस्तिष्क के साथ उनके व्यवहार को भी नियंत्रित करना सिखाती है.

शारीरिक शिक्षा बच्चों की मानसिक स्थिति को भी संतुलित रखना सिखाती है.सरल शब्दों में कहें तो शारीरिक शिक्षा बच्चों के संपूर्ण विकास को प्रभावित करती है.

शारीरिक शिक्षा नियोजित तरीके से बच्चों को विकसित होना सिखाती है. इसे पढ़ने से बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास होता है. शारिरिक शिक्षा को बच्चों के पाठयक्रम से जोड़ना एक प्रशंसनीय कार्य है. इससे बच्चों का चरित्र निर्माण करने में भी मदद होगी। यह शिक्षा बच्चों को समाज में रहकर देश को प्रगति में भी योगदान देना सीखाता है.

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शारिरिक शिक्षा की कुछ अन्य परिभाषाएं

शारिरिक शिक्षा उन अनुभवों का सामूहिक प्रभाव है जो शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति को प्राप्त होता है. (डेलबर्ट यूफर)

शारिरिक शिक्षा व्यक्ति के भीतरी अनुभवों के कारण व्यक्ति विशेष में होने वाले परिवर्तनों के कुल जोड़ को कहते है.(रोजालैंड)

शारिरिक शिक्षा का उद्देश्य क्या है ?

शारिरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है. इसमें बच्चों का बौद्धिक और मानसिक दोनों विकास सम्मिलित है. शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को ना केवल खेलकूद के माध्यम से बल्कि उन्हें समाज में किस तरह व्यवहार करना है यह भी सिखाया जाता है. शिक्षा के माध्यम से बच्चे अपने सामाजिक परिवेश के साथ सामंजस्य स्थापित करना भी सीखते हैं

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शारिरिक शिक्षा का इस्तेमाल क्या है?

शारिरिक शिक्षा सबसे पहले सभी वर्ग के इंसानों को स्वस्थ रहने में मदद करता है. यह शरीर के संतुलन और शक्ति को बनाए रखता है. यह बच्चों के कौशल विकास में भी सहायक है.इसका इस्तेमाल शरीर के अंदरूनी और बाहरी विकास को बढ़ावा देने के लिया भी किया जा सकता है. कहते है स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन निवास करता है. यदि हमें भी ऐसा ही बनना है तो शारीरिक शिक्षा का सही इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. इससे हम योग करना , दौड़ना, कसरत करना, व्यक्तित्व का विकास करना, बच्चों को दूसरों के साथ खेलना, उन्हें मानसिक रूप से मजबूत और स्वस्थ बनना, सेहत से जुड़े उपकरणों का सही इस्तेमाल करना, पर्यावरण और आसपास होने वाली गतिविधियों को सीखने में मदद करना और पर्यावरण को लेकर जिम्मेदार बनाना भी सीखा सकते है.

शारिरिक शिक्षा को लेकर आमतौर पर यह भी सोचा जाता है कि ये केवल स्वस्थ लोगों के लिए है. जबकि यह मिथ्या है । शारिरिक शिक्षा जिस प्रकार स्वस्थ लोगों के लिए काम करती है वह ठीक विकलांगों के लिए भी वैसा ही कार्य करती है. बल्कि विकलांग बच्चें इससे और अधिक लाभ ले सकते है.

विकलांग बच्चों के लिए यह और भी अधिक कारगर हथियार है चूंकि यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है. इसका मतलब यह हुआ कि यदि बच्चा शरीर का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है तो वह अपने दिमाग का विकास करने पर और अधिक ध्यान लगाएगा।

विकलांग बच्चों को विशेष कौशल सीखने में मदद करेगा। उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा।


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शारीरिक शिक्षा का क्या अर्थ - शारीरिक शिक्षा,शिक्षापद्धति का अभिनन अंग है जिसका उद्देश्य नागरिको कोशारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामाजिक रूप से,शारीरिकगतिविधियों के माध्यमों से, जो कि उनकी गतिविधियों के परिणामों को दृष्टिगत रखकर चुनी गई हों, उन्हें योग्य बनाना है। वास्तव मेंशारीरिक शिक्षाशब्द बहुत कठिन एवं विस्तृत आधार वाला है।

शारीरिक शिक्षा का इस्तेमाल -

1. सजग मस्तिष्क - शारीरिक शिक्षामस्तिष्क की सजकता का विकास करती है।

2. स्वास्थ्य तथा बीमारियों की जानकारी - शारीरिक शिक्षाशरीर के ज्ञान का स्त्रोत है | असंक्रामक व संक्रामक रोग स्वस्थ शरीर की बाधाएं है यह ज्ञान जरूरी है ।

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शारीरिक शिक्षा का अर्थ यह होता है बच्चों को शारीरिक शिक्षा ज्ञान होना, उन्हें शारीरिक शिक्षा के बारे मे जानकारी देना कि किस तरह से शारीरिक शिक्षा का इस्तेमाल करके आपने जीवन को सरल बना सकते है, छोटे बच्चो को शारीरिक शिक्षा का ज्ञान देना शिक्षक और उनके माता -पिता का कर्तव्य बनता है।


शारीरिक शिक्षा द्वारा बच्चे अपने समय का सही सदुपयोग करना सीखते हैं,यह उनके चरित्र और व्यक्ति को निखारने का कार्य करती है,यह उनके अंदर व्याप्त कौशलों का विकास करती हैं और उनके अंदर निपुणता लाने का काम करती हैं। शारीरिक शिक्षा शरीर से सम्बंधित सभी समस्याओं का निवारण करने मे मदद करती है और यह संवेगात्मक रूप से बच्चो के अंदर कला जाग्रत करती है।

शारीरिक शिक्षा के माध्यम से बच्चे के अंदर अनुशासन तथा नैतिक मूल्यों का विकास होता हैं। यह शिक्षा बच्चो को मानसिक एवं बौद्धिक दक्षता प्रदान करने के लिए बहुत ही लाभकारी है।Letsdiskuss

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दोस्तों आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि शारीरिक शिक्षा क्या होती है तो शारीरिक शिक्षा का अर्थ शरीर से संबंधित शिक्षा ही शारीरिक शिक्षा कहलाती है इसे फिजिकल एजुकेशन भी कहा जाता है शारीरिक शिक्षा के तहत छात्रों को स्वस्थ रहने के तरीकों को सिखाया जाता है इस शिक्षा के तहत छात्रों को शरीर की जरूरत एवं स्वस्थ रहने हेतु सारी जानकारियां दी जाती हैं।

शारीरिक शिक्षा योग, व्यायाम, जिमनास्टिक और साफ सफाई से भी दी जा सकती हैं शारीरिक शिक्षा केवल छात्रों को स्वस्थ रहने के लिए नहीं अपितु छात्रों के मनोविज्ञान को भी बढ़ता हैयह शिक्षा छात्रों को मानसिक और बौद्धिक दोनों रूप में मजबूत बनाती है इस शिक्षा से मस्तिष्क का भी निर्माण होता है शारीरिक शिक्षा छात्रों के जीवन में अहम भूमिका निभाती है। शारीरिक शिक्षा का ज्ञान छोटे बच्चों को भी देना चाहिए पर यह कर्तव्य उनके माता-पिता का होता है।

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चलिए दोस्तों आज हम आपको बताते हैं कि शारीरिक शिक्षा का अर्थ क्या होता है और इसका महत्व क्या होता है, दोस्तों शारीरिक शिक्षा उसे कहते हैं जिसमें हमारे शरीर से जुड़े सभी अंगों की जानकारी प्राप्त की जाती है उसे ही शारीरिक शिक्षा कहा जाता है जिसे हम अंग्रेजी भाषा में फिजिकल एजुकेशन भी कहते हैं शारीरिक शिक्षा आज न केवल बच्चों के लिए ही आवश्यक है बल्कि हम बड़ों के लिए भी आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा हमें अपने शरीर के बारे में पता चलता है कि हमें अपने शरीर को किस प्रकार सुरक्षित रखना चाहिए उसकी देखभाल कैसी करनी चाहिए, यदि हम शारीरिक शिक्षा को सरल भाषा में कहें तो इसके द्वारा हमें अपने शरीर की संपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है इससे न केवल हमारा शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि हमारे मानसिक को ही सही ढंग से बनाए रखना की शिक्षा प्राप्त होती है।

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