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दुनियाँ में हर रिश्ते का मोल, बस एक माँ जो तू सबसे अनमोल,
माँ तो बस माँ है, उसके जैसा न कोई और, बच्चे की नज़र जहाँ तक जाए, माँ का साया चारो और,
दुनियाँ का हर रिश्ता हमे मिला माँ से, पर माँ का तो हर एक रिश्ता होता मेरी एक मुस्कान से,
बिना कहे मेरे हर दर्द को समझ लेती है, दुःख भरे जीवन में सुख की छाया देती है,
माँ तुझे समझना बहुत मुश्किल है मुझे, पर तू कैसी है मेरी हर तकलीफ बिना कहे समझ लेती है ..................
क्योकि माँ तो बस माँ होती है.......
क्या होती है माँ? ये सवाल कितना अजीब लगता है न सुनकर, अगर ऐसा सवाल कोई करे तो क्या लगेगा, कि अजीब सी बात है ये तो "क्या होती है माँ" ये कैसा सवाल है | अगर ये सवाल अजीब है तो बताइये, क्या होती है माँ? क्या हमने कभी ये सोचा है, क्या होती है माँ? कौन होती है माँ? हमारे जीवन में क्यों इतना महत्व रखती है माँ? क्या माँ वही है, जो हमको प्रत्यक्ष दिखाई देती है? क्या माँ वही है, जिसने हमको जन्म दिया और बड़ा किया?
कभी सोचा है आपने और हमने कि क्या होती है माँ?
कभी सोचा ही नहीं हमने इस बारे में ,जानते है क्यों क्योकि हमने शायद ये जरूरत ही नहीं समझी कि हम अपनी माँ को समझ सके | बचपन से एक औरत को देखते हुए आ रहे है ,जो हमारी हर जरूरत को हमारे बिना कहे समझ लेती है ,उसको पूरा कर देती है ,बस हमें इतना पता होता है कि ये हमारी माँ है ,इसके सिवा कुछ जानने की जरूरत महसूस ही नहीं की |
क्या केवल उसी माँ से हमारा रिश्ता है? क्या उसके प्रति ही हमारी जिम्मेदारी है?
मुझे उत्तर मिले, कुछ उत्तर औरों से और कुछ अपने आप से, और फिर पता चला कि हर व्यक्ति की पाँच माँ होती हैं।
पहली माँ जो हमे जन्म देती है, हमें चलना सिखाती है, हमे बोलना सिखाती है, हमारा चरित्र बनाने वाली हमारी माँ ही होती है, जो हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है |
"हर संस्कार उसके, हर विचार उसके, जन्म जिनसे दिया हमें,
एहसान मानो उसका हरदम, जिसने जीने लायक किया हमें......."
हमारी दूसरी माँ है हमारी मातृभूमि । जो हमें प्रत्यक्ष रूप में भले ना दिखे, पर वो सदा हमारे साथ रहती है । जिसके प्रेम में डूब जाओ तो वापस आना असंभव है । जिसे अनुभव कर लो तो जीवन सार्थक हो जाये । जिसे समझ जाओ तो हृदय विशाल हो जाये। वही जिसकी छाती को चीर कर हम अपना पेट भरते हैं।
"ये धरती है, जो माँ के बाद हमे सहारा देती है,
जब हम उदास होते है, तो रोने के लिए अपने दामन का एक कोना देती है,
जब माँ अपने हाथो का सहारा हमे चलने के लिए देती है,
तब ये धरती अपने दोनों हाथो से हमारे कदमो को थाम लेती है ....................."
हमारी तीसरी माँ है नदी। कहते हैं न जल ही जीवन है। बिना जल हम क्या हैं? कुछ भी नहीं । वो माँ नर्मदा है, वो माँ गंगा है, कहीं माँ यमुना है और कहीं सरस्वती माँ । वही है जो हमारे सारे पाप अपने आप में समा कर सदा शांति से बहती रहती है । सदैव हमें सिखाती रहती है कि ज़िंदगी चलने का नाम है,कोई भी मुसीबत हो ज़िंदगी में बस चलते रहना है |
"कभी हलचल सी तो कभी थमी सी, कभी बहती सी तो कभी रुकी सी,
अगर जानना चाहो ज़िंदगी को, तो नापो गहराई नदी की...."
हमारी चौथी माँ है गाय । सभी जानते है, गाय हमारे जीवन में क्या मायने रखती है | हमारा देश आज भी कृषि प्रधान देश है | हमारे देश में किसानो का स्थान सबसे ऊँचा है | हमारे जीवन का अधिकांश हिस्सा हम अन्न के पीछे बीताते हैं। और कृषक के लिए गाय सब कुछ है। इसलिए गाय हमारी माँ के बराबर स्थान रखती है |
हमारी पांचवी माँ है प्रकृति । वो जो बचपन में कभी हमें आम के पेड़ पर मिल जाती थी,जो हमे कभी फूलो की खुशबू में मिल जाती थी,जब हम बड़े हुए तो इस प्रकृति ने ही एहसास करवाया हमें हमारे बड़े होने का ,और जो हमारे बुढ़ापे का सहारा बनती है।
ये पाँच माँ हर कदम पर हमारे साथ है,और हमेशा कुछ ना कुछ सिखाती हैं, हमेशा अपने साथ लेकर चलती हैं। ये पाँचों हमें ये सिखाती हैं कि माँ कोई जीव या वस्तु नहीं,माँ वो औरत नहीं जिसको हम बचपन से देखते आ रहे है,और बस हम जानते है कि ये हमारी माँ है | माँ तो एक भाव है, जो निरंतर है,सदैव है | सदा निस्वार्थ होकर प्रेम करने का भाव, बिना अपेक्षाओं के ज़िंदगी जीने का भाव और हमे इस भाव को सिर्फ ढूंढना है और महसूस करना है | लेकिन हम हैं कि इससे दूर होते ही जा रहे हैं।